अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने महाकुंभ के बाद अपनी वाराणसी यात्रा को बताया अद्भुत

महाकुंभ के बाद अपनी वाराणसी यात्रा को अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने सोमवार को बड़ा ही अद्भुत अनुभव बताया है। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन अपनी मां के साथ वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में जाना उनके लिए किसी रोमांच से कम नहीं था।

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आपको बता दें, प्रयागराज में 26 फरवरी को संपन्न हुए महाकुंभ मेले में पवित्र स्नान करने वाली फिल्म अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर अपनी मां नीलप्रभा जिंटा के साथ प्रयागराज से वाराणसी तक की यात्रा से जुड़ा एक पोस्ट शेयर किया और अपनी मां के साथ अपनी तस्वीरों और वीडियो को भी पोस्ट किया है। खास बता ये भी है कि प्रीति जिंटा जल्द ही अभिनेता राजकुमार संतोषी के साथ फिल्म “लाहौर 1947” में नजर आएंगी।

अपनी धार्मिक यात्रा को लेकर उन्होंने लिखा- “ये यात्रा कितनी रोमांचकारी रही। मां शिवरात्रि के दिन वाराणसी में हमारी महाकुंभ यात्रा को समाप्त करना चाहती थीं। इसलिए मैंने उनसे कहा, बेशक मां, चलो चलते हैं। वहां पहुंचने पर हमें पता चला कि भारी भीड़ के कारण कारों की इजाजत नहीं थी और एक बिंदु के बाद सड़कें ब्लॉक थीं, इसलिए लोग पैदल चलकर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर सकते थे। हमने तय किया कि हम ऐसा करेंगे। कार में बैठने से लेकर ऑटो रिक्शा और फिर साइकिल रिक्शा तक हमने ये सब किया और इससे भी ज्यादा हम पागलों की तरह भीड़ में चलते रहे।”

प्रीति ने अपनी वाराणसी यात्रा के बारे में कहा, “वाराणसी में भीड़ काफी थी। मुझे कभी भी कुछ गलत नहीं दिखा। सब लोग बहुत अच्छे थे।हालांकि यात्रा में हमें घंटों लग गए, लेकिन हमें कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ। इसकी वजह आस्था की शक्ति और आसपास के लोगों की ऊर्जा है।” “कल हो ना हो”, “सोल्जर”, “चोरी चोरी चुपके चुपके” और “संघर्ष” जैसी फिल्मों के लिए मशहूर प्रीति जिंटा ने कहा कि उन्होंने अपनी मां को कभी इतना खुश नहीं देखा।

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उन्होंने कहा, “वे चमक रही थीं। उन्हें देखकर मुझे एहसास हुआ कि सबसे बड़ी सेवा भगवान के प्रति नहीं बल्कि अपने माता-पिता के प्रति है। दुख की बात है कि हमें उनके महत्व का एहसास तभी होता है, जब हम माता-पिता बन जाते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भले ही उनकी मां ने इस पूरी यात्रा की शुरुआत की हो, लेकिन ये उनका ही काम था। इसके साथ ही कहा, ” वे तो बस बहाना थी। हम आधी रात को पहुंचे और आधी रात की आरती देखी। ये कुछ सेकंड के लिए था क्योंकि कोई वीआईपी सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।”

उन्होंने आगे कहा, “ये डेस्टिनेशन नहीं थी, बल्कि यात्रा थी जो काफी अहम थी। ये मेरी मां की चमकती मुस्कान थी जिसे मैं महादेव के आशीर्वाद के रूप में अपने साथ ले गई और ये अनमोल से भी बढ़कर थी। मैं तुमसे प्यार करती हूं मां! इस अविश्वसनीय यात्रा के लिए धन्यवाद।”

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