सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार उर्फ ‘भारत कुमार’ को आज नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी गई है। मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया है और अब वह पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं। उनके निधन से सिनेमा प्रेमियों और सिनेमा जगत में शोक की लहर छाई हुई है।
Read Also: IPL-2025: CSK के खिलाफ DC ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का किया फैसला, समीर रिजवी प्लेइंग इलेवन में शामिल
आपको बता दें, ‘उपकार’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में देशभक्त नायकों की भूमिका निभाने के लिए ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर मनोज कुमार का शनिवार को मुंबई में जुहू स्थित पवन हंस श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान और तीन तोपों की सलामी के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
उनके अंतिम संस्कार में मेगास्टार अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, दिग्गज पटकथा लेखक सलीम खान, राज बब्बर, जिमी शेरगिल, अरबाज खान, सुभाष घई, जायद खान, रंजीत, रजा मुराद, सुनील दर्शन, पवन चोपड़ा, राजपाल यादव, अनु मलिक, बिंदु दारा सिंह और प्रेम चोपड़ा समेत कई मशहूर सिनेमा जगत के सितारे श्मशान घाट पर मौजूद रहे। अंतिम संस्कार के बाद फिल्म जगत की हस्तियों ने मनोज कुमार के निधन पर दुख जताते हुए उनके परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदनाएं भी व्यक्त की।
दिवंगत मनोज कुमार के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सुबह करीब 11:30 बजे शुरू हुई। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के दौरान उनके दोनों बेटों विशाल और कुणाल ने अभिनेता-फिल्म निर्माता एवं अपने पिता मनोज कुमार की चिता को मुखाग्नि दी। शुक्रवार को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनका निधन हो गया था। वह 87 वर्ष के थे।
Read Also: अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया पाकिस्तानी घुसपैठिया
प्रेम चोपड़ा जिन्होंने अभिनेता मनोज कुमार के साथ “वो कौन थी?”, “शहीद”, “उपकार”, “अनीता”, “पूरब और पश्चिम”, “संन्यासी”, “कलयुग और रामायण” और “क्रांति” जैसी फिल्मों में काम किया है। उन्होंने कहा कि कुमार उनके सबसे अच्छे दोस्तों में से एक थे। वहीं गायक और संगीतकार अनु मलिक ने मनोज कुमार के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें एक ऐसा महान व्यक्तित्व बताया, जिसने फिल्म निर्माताओं और दर्शकों को प्रभावित किया। उन्होंने मनोज कुमार के परिवार के साथ अपना बचपन बिताने को याद किया और कहा कि उन्हें खोना पिता को खोने जैसा है।
उन्होंने कहा, “उन्होंने हर फिल्म निर्माता और हर दर्शक के दिल और दिमाग में एक अमिट छाप छोड़ी है। जीवन कैसे जीना चाहिए, किस तरह की फिल्म बनानी चाहिए। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से यह परिवार के सदस्यों की तरह ही बहुत बड़ा नुकसान है, क्योंकि मैं केवल 14 या 15 साल का था, जब मैंने मनोज कुमार साहब से मिलना शुरू किया था।”
Read Also: एलएसजी के कप्तान पंत पर 12 लाख रुपये का जुर्माना, दिग्वेश ने फिर गंवाई आधी मैच फीस
कुमार को उनके प्रशंसकों के बीच ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उन्होंने “शहीद”, “उपकार”, “पूरब और पश्चिम” और “रोटी, कपड़ा और मकान” जैसी देशभक्ति फिल्मों में अपनी भूमिकाएँ निभाई थीं। अविभाजित भारत के एबटाबाद शहर (पाकिस्तान) में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हरिकृष्ण गोस्वामी के रूप में जन्मे कुमार का परिवार 1947 में भारत की स्वतंत्रता के वर्ष में दिल्ली आ गया था।
फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई जाने से पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कुमार की कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में “हिमालय की गोद में”, “दो बदन”, “पत्थर के सनम”, “हरियाली और रास्ता”, “क्रांति” और अन्य शामिल हैं। उनके परिवार में उनके दो बेटे और पत्नी शशि हैं।
