Wakf Amendment Bill: वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह प्रस्ताव रखा कि “वक्फ बाय यूजर” सहित वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा, लेकिन केंद्र ने इस सुझाव का विरोध किया और इस तरह के निर्देश जारी करने से पहले सुनवाई की मांग की।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल किया जाएगा।पीठ ने कहा, “अदालतों द्वारा वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को वक्फ के रूप में गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे यूजर बाय वक्फ हों या विलेख द्वारा वक्फ हों।
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शीर्ष अदालत ने कहा, “वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय पदेन सदस्यों के।” मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने पहले इन याचिकाओं को हाई कोर्ट में भेजने पर विचार किया, लेकिन बाद में कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी, राजीव धवन और केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता तुषार मेहता सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की लंबी सुनवाई की।पीठ ने अभी तक कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है, लेकिन कहा कि वह 17 अप्रैल को दोपहर करीब 2 बजे याचिकाओं पर सुनवाई फिर से करेगी ।
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शीर्ष अदालत ने कानून के लागू होने के बाद हुई हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि जब वह इन मामलों पर विचार कर रही थी तो यह खबरें परेशान करने वाली थीं।सीजेआई ने आगे यह आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा कि पदेन सदस्यों को उनकी आस्था की परवाह किए बिना नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अन्य को मुस्लिम होना चाहिए।शीर्ष अदालत ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि “यूजर बाय वक्फ” को कैसे अस्वीकार किया जा सकता है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फ पंजीकृत कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होंगे।सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। अब इस मामले की सुनवाई 17 अप्रैल को फिर होगी।