केंद्र सरकार ने लिया जाति जनगणना कराने का बड़ा फैसला, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी ये जानकारी

केंद्र की मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में जातिगत जनगणना कराने का एलान किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा की है। यह फैसला सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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केंद्र सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एलान किया कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जाति जनगणना मूल जनगणना के साथ ही आयोजित की जाएगी।केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह कदम सामाजिक और आर्थिक नीतियों को और समावेशी बनाने में मदद करेगा।

केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया था।अश्वनी वैष्णव ने दावा किया कि 1947 के बाद से जाति आधारित आंकड़े व्यवस्थित रूप से एकत्र नहीं किए गए। हालांकि, 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत सर्वेक्षण किया गया था, लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए।

दरअसल जातिगत जनगणना की मांग लंबे समय से विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों द्वारा उठाई जाती रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे सामाजिक न्याय के लिए क्रांतिकारी कदम बताते हुए बार-बार इसकी पैरवी की है। हाल ही में, बिहार जैसे राज्यों में हुए जाति सर्वेक्षणों ने इस मुद्दे को और गति दी थी। केंद्र सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने इसे अपनी मांग की जीत बताया है।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सामाजिक न्याय को लेकर यह बात कांग्रेस के हालिया प्रस्ताव में कही गई थी, जो 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद में पारित हुआ था।जयराम रमेश ने कहा कि देर आए, दुरुस्त आए।

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बहरहाल कहा जा रहा है कि यह फैसला आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया है, जहां जाति आधारित राजनीति अहम भूमिका निभाती है। हालांकि सरकार ने साफ नही किया कि जाति जनगणना के फैसले को कैसे लागू किया जाएगा, जातिगत आंकड़ों का संग्रह और विश्लेषण एक जटिल प्रक्रिया होगी, जिसके लिए व्यापक तैयारी और संसाधनों की जरूरत होगी। बहरहाल केंद्र सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से देश की सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित करेगा। ऐसे में राजनीतिक तौर पर इस फैसले को लेकर तमाम बड़ी बहस देखने को मिल रही है।

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