दिल्ली में आज इंडिया ब्लॉक के नेताओं की एक अहम बैठक हुई, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई है। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की है।
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दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आज इंडिया ब्लॉक के 16 दलों के नेताओं ने बैठक की, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा हुई। इस बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी,आरजेडी, और शिवसेना (यूबीटी) सहित कई दलों के वरिष्ठ नेता शामिल रहे। बैठक के बाद, इन नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र भेजा जा रहा है, जिसमें संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई।
बैठक में शामिल रहे कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि “हमारी मांग है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। ऑपरेशन सिंदूर में हमारे सशस्त्र बलों ने अदम्य साहस दिखाया, और हम उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं। साथ ही, देश को यह जानने का हक है कि इस ऑपरेशन के पीछे की रणनीति और हालात क्या थे।”
इस पत्र में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के हस्ताक्षर है, इसके अलावा समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, डीएमके नेता टीआर बालू समेत अन्य नेताओं ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र में मांग की गई है कि विशेष सत्र में ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम पर विस्तृत चर्चा हो। साथ ही, सरकार से यह भी पूछा गया है कि पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक पर क्या कदम उठाए गए हैं।
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इस बैठक में आम आदमी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया, लेकिन उसने भी अलग से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष सत्र की मांग करने की बात कही है। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि आम आदमी पार्टी कल तक अपना पत्र जारी करेगी। वहीं शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने भी विशेष सत्र की मांग उठाई है।
समाजवादी पार्टी नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार को सत्र बुलाकर विपक्ष के सवालों के जवाब देने चाहिए। वहीं आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि होती है, सरकार को विपक्ष के तमाम सवालों के जवाब संसद के विशेष सत्र में देने चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) ने भी अब तक पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने कहा है कि सुप्रिया सुले फिलहाल सर्वदलीय डेलिगेशन के साथ विदेश में है ऐसे में भरोसा है कि एनसीपी (पवार) भी जल्द ही अपना रुख साफ करेगी।