समितियों की सिफारिशों को आलोचना नहीं, बल्कि रचनात्मक मार्गदर्शन के रूप में देखा जाना चाहिए : लोकसभा अध्यक्ष

OM Birla: लोकसभा अध्यक्ष,ओम बिरला ने आज इस बात पर ज़ोर दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कल्याणकारी योजनाओं के लाभ  समाज के अंतिम व्यक्ति, विशेषकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों तक पहुँचें।OM Birla

उन्होंने कहा कि ऐसे समन्वित प्रयासों से ही विकास और प्रगति का वास्तविक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने प्रत्येक राज्य विधानमण्डल में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के प्रति समर्पित समितियों के गठन की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि इन समुदायों से संबंधित मुद्दों पर पूरा ध्यान दिया जा सके। बिरला ने आज भुवनेश्वर में संसद और राज्य विधानमंडलों की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण समितियों के सभापतियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में ये टिप्पणियाँ कीं।OM Birla: 

ओम बिरला ने कहा कि संसद में पहले से ही ऐसी समितियाँ कार्य कर रही हैं जो कल्याणकारी उपायों की सक्रिय निगरानी कर रही हैं, लेकिन कुछ राज्यों में ऐसे  संस्थागत तंत्र मौजूद नहीं हैं, जिससे जमीनी स्तर पर निगरानी नहीं हो पाती । बिरला ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी समितियाँ न केवल नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी को सुगम बनाएँगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगी कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों की समस्याओं का समयबद्ध तरीके से समाधान किया जाए। उन्होंने राज्य विधानमंडलों से इन समितियों के गठन में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया, ताकि जवाबदेही ढाँचे को मज़बूत किया जा सके और कल्याणकारी पहलों का लाभ लोगों तक पहुंचाया जा सके।OM Birla: 
बिरला ने कहा कि भारत ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को अधिकार दिलाने और यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुधार किए हैं कि वे वर्तमान समय की आकांक्षाओं के अनुरूप हों। उन्होंने कहा कि समितियाँ बजटीय प्रावधानों की सूक्ष्मता से जाँच करके, कल्याणकारी योजनाओं के कार्य निष्पादन की समीक्षा करके और सुधारों के सुझाव देकर इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस प्रकार की विस्तृत जाँच से न केवल शासन में पारदर्शिता बढ़ती है, बल्कि जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही भी सुनिश्चित होती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि समितियों की रचनात्मक सिफ़ारिशों से प्रायः सरकारों को अधिकारों का पुनर्मूल्यांकन करने, उनके अनुरूप योजनाएँ बनाने और नीतियों को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलती है ताकि ये योजनाएं वंचित समुदायों की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सकें। उन्होंने यह भी कहा  कि सम्मेलन के दौरान गहन चर्चाओं के माध्यम से, प्रतिभागियों ने इस पहलू पर विचार-विमर्श किया कि संवैधानिक प्रावधानों, बजटीय आवंटनों और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों तक कैसे पहुँचाया जा सकता है, जिससे वे वास्तव में सशक्त और आत्मनिर्भर बनें ।OM Birla: 
ओम बिरला ने कहा कि इस तरह के रोडमैप में विकास के सभी पहलुओं अर्थात सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए ताकि भारत बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के एक समतामूलक, न्यायसंगत और समावेशी समाज के सपने को वर्ष 2047 तक साकार कर सके । उन्होंने कहा कि यह केवल एक आकांक्षा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दायित्व भी है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि राज्य और केन्द्र, दोनों स्तरों पर समितियाँ इस मिशन को केंद्र में रखकर कार्य करेंगी। उन्होंने इस बात पर बल  दिया कि इन समितियों की सिफारिशों को आलोचना के बजाय, सुधार के लिए रचनात्मक मार्गदर्शन के रूप में देखा जाना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकारें और समितियाँ इस भावना से मिलकर काम करती हैं, तो परिणाम हमेशा अधिक स्थायी और प्रभावी होते हैं। शिक्षा और प्रौद्योगिकी को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सशक्तीकरण का प्रेरक बताते हुए, उन्होंने समुदायों और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए इन साधनों के उपयोग का आह्वान किया।OM Birla: 
बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि “भुवनेश्वर एजेंडा 2025” आने वाले वर्षों में संसद और राज्य विधानमंडलों के कार्यों का मार्गदर्शन करेगा और कार्ययोजना के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद और बाबासाहेब आंबेडकर के विजन के साथ, भारत 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण की ओर आत्मविश्वास से आगे बढ़ेगा, जहाँ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रत्येक सदस्य को सम्मान, समानता और न्याय मिलेगा ।OM Birla: 
ओडिशा के राज्यपाल, डॉ. हरि बाबू कंभमपति; ओडिशा सरकार की उप मुख्यमंत्री श्रीमती प्रवती परिदा; ओडिशा विधान सभा की अध्यक्ष, श्रीमती सुरमा पाढ़ी; अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण संबंधी संसदीय समिति के सभापति, फग्गन सिंह कुलस्ते; और राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश ने भी इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों को संबोधित किया।OM Birla: 
ओडिशा सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, संसदीय कार्य, तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ. मुकेश महालिंग ने स्वागत भाषण दिया तथा ओडिशा विधान सभा की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के सभापति, भास्कर मधेई ने धन्यवाद ज्ञापित किया।OM Birla: 

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