Diwali: सुप्रीम कोर्ट से हरित पटाखों को मंज़ूरी मिलने से दिवाली के जश्न का उत्साह फिर से बढ़ गया है।दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों पर कई सालों से प्रतिबंध था लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट की सशर्त मंजूरी ने पटाखा कारोबारियों और लोगों को खुश कर दिया है।गाजियाबाद में शनिवार को हरित पटाखे खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे पटाखों की दुकानों के बाहर लंबी कतारें लग गईं।Diwali:
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कुछ ग्राहकों का मानना है कि बढ़ते प्रदूषण के लिए सिर्फ़ पटाखों को ज़िम्मेदार ठहराना अनुचित है। उनका कहना है कि दूसरे प्रमुख कारणों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।अब जब हरित पटाखे उपलब्ध हैं, तो कई लोग ज़्यादा ज़िम्मेदारी से जश्न मनाते हुए त्योहारों की रौनक बनाए रखना पसंद कर रहे हैं।
फरीदाबाद में दुकानदारों और ग्राहकों दोनों ने कहा कि हरित पटाखे जश्न मनाने का बहुत सही तरीका है।हालांकि प्रतिबंध और अब छूट मुख्य रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र पर लागू है, लेकिन हरित पटाखों के प्रचार ने पूरे देश में व्यापक प्रभाव डाला है।Diwali:
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तमिलनाडु के तुतुकुडी में हरित पटाखों को मिली छूट का असर दिख रहा है। पटाखा व्यापारी पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। इसी वजह से दुकानों में कई तरह के हरित पटाखों का भंडार है।उत्सर्जन में लगभग 30 प्रतिशत की कमी लाने के लिए डिज़ाइन किए गए, हरित पटाखे पारंपरिक पटाखों का कम प्रदूषणकारी विकल्प हैं, जिन्हें दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण की बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए विकसित किया गया है।Diwali:
हालांकि हरित पटाखे भी पूरी तरह से हानिरहित नहीं हैं, लेकिन विशेष रूप से तैयार किए गए इन पटाखों को पारंपरिक पटाखों की तुलना में पर्यावरण के लिहाज से ज्यादा जागरूक विकल्प माना जाता है।Diwali: