Bihar News: इन दिनों बिहार में वोट के लिए विकास और रोजगार के वादों की झड़ी लगी है। मधुबनी का मिथिला हाट एक ऐसी कहानी बयां कर रहा है जहां ये दोनों वादे हकीकत में बदल रहे हैं। हाट में आए कारीगर कहते हैं कि उनकी जिंदगी बदल गई, आमदनी बढ़ गई और आत्मविश्वास की तो पूछिए मत।
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मिथिला हाट को बिहार के पर्यटन और उद्योग विभागों ने बनाया है। मकसद है, मधुबनी पेंटिंग से लेकर स्थानीय शिल्प और हाथ से बने उत्पादों तक, क्षेत्र की पारंपरिक कलाओं को सामने लाना। आज, ये सिर्फ एक हाट या बाजार नहीं, एक ऐसी जगह है, जहां मिथिला की संस्कृति आजीविका का आधार बनती दिख रही है। मिथिला हाट ने कई कारीगरों का जीवन निखारने के दरवाजे खोले हैं। उन्हें सीधे ग्राहकों से जोड़ा है। उनके शिल्प को ऐसी जगहों तक पहुंचाया है जहां पहले उनकी पहुंच नहीं थी।
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शांत वातावरण में रंग-बिरंगे स्टॉलों से सजा मिथिला हाट कला, संस्कृति और अलग-अलग समुदायों को एक जगह लाने का मंच है। देश भर से आने वाले सैलानियों का कहना है कि यहीं आकर उन्हें मिथिला के रंगों, कहानियों और पारंपरिक कला को करीब से महसूस करने का मौका मिला। बिहार के चुनाव प्रचार में रोजगार और स्थानीय विकास केंद्र बिंदु हैं। ऐसे में मिथिला हाट इस बात का जीवंत उदाहरण है कि कैसे संस्कृति आर्थिक विकास और सशक्तिकरण को रफ्तार दे सकती है। कला से लेकर आमदनी तक और घर से लेकर आत्मनिर्भरता तक, मिथिला हाट पूरे बिहार की अनगिनत महिलाओं और कारीगरों के सशक्तिकरण की नई परिभाषा गढ़ रहा है।
