राजस्थान की शौर्य धरा चित्तौड़गढ़ इन दिनों भक्ति, शक्ति और स्वदेशी के अनूठे संगम का गवाह बन रही है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने चित्तौड़गढ़ में आयोजित ‘सांसद सांस्कृतिक महोत्सव एवं स्वदेशी मेले’ में शिरकत की। इस अवसर पर बिरला ने मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को दोहराया।
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चित्तौड़गढ़ की धरती पर गूंजते लोक संगीत और स्वदेशी के जयकारों के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस आयोजन की सराहना की है। ओम बिरला ने कहा कि चित्तौड़गढ़ केवल इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि त्याग, शौर्य और स्वाभिमान की जीवंत धरती है।
ओम बिरला ने महारानी पद्मिनी के बलिदान, पन्नाधाय के त्याग और भक्त मीराबाई की भक्ति का उल्लेख करते हुए बताया कि मेवाड़ की गाथाएं आज भी समाज को प्रेरणा दे रही हैं। बिरला ने कहा कि “मेवाड़ की यह पुण्य धरा देश और दुनिया को राष्ट्रप्रेम की अमर प्रेरणा देती है। यहाँ का इतिहास बलिदान और वीरता का जीवंत प्रमाण है।”
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इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण रहा ‘घूमर महोत्सव’, जिसमें 15 हजार से अधिक महिलाओं यानी ‘मातृशक्ति’ ने एक साथ सहभागी बनकर भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन किया। ओम बिरला ने इसे जनभागीदारी का एक सशक्त उदाहरण बताया। मेले में देशभर से आए कारीगरों और महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया,जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को हकीकत में बदल रहे हैं।
ओम बिरला ने इस सफल आयोजन के लिए चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी. जोशी और समस्त आयोजकों को बधाई दी।बिरला ने स्पष्ट किया कि ‘स्वदेशी’ केवल खरीदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी सोच और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
