Gyanvapi Case- वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर मामले में गुरुवार को एक बार फिर फैसला टल गया। अब इस मामले पर पांच जनवरी को फैसला आएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बुधवार को वाराणसी की अदालत से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की अपनी रिपोर्ट को करीब चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने की मांग की थी।
इसके अलावा कोर्ट दोनों पक्षों को प्रतियां देने या नहीं देने पर पांच जनवरी को फैसला करेगा।हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि इस मामले पर गुरुवार को फैसला आना था। लेकिन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ए.के. विश्वेश महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती के सिलसिले में आयोजित एक समारोह में व्यस्त थे, इसलिए वो गुरुवार को कोर्ट की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए।
उन्होंने बताया कि जज के दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक मामले की सुनवाई शुक्रवार के लिए तय की गई है।हिंदू पक्ष के वकील के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बुधवार को अदालत से अपनी ज्ञानवापी परिसर सर्वेक्षण रिपोर्ट को करीब चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने की मांग की थी।
Read also – दिल्ली में पिछले छह सालों में नवंबर-दिसंबर 2023 में वायु गुणवत्ता सबसे खराब रही
एएसआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक हालिया फैसले का हवाला देते हुए वाराणसी कोर्ट से सीलबंद सर्वे रिपोर्ट खोलने से पहले चार हफ्ते का समय और मांगा था।एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंप दी थी।एएसआई ने कहा कि उसे डर है कि अगर रिपोर्ट एचसी को मिलने से पहले सार्वजनिक डोमेन में आ गई तो इससे गलत बयानी हो सकती है।
21 जुलाई को जिला कोर्ट के आदेश के बाद एएसआई ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में मौजूद ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था, ताकि ये निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं।
बुधवार को जिला अदालत में सुनवाई के दौरान, हिंदू पक्ष ने कहा कि मस्जिद के ‘वज़ू खाना’ (नमाज पढ़ने से पहले लोगों के स्नान के लिए इस्तेमाल किया जाता है) की सफाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी जाए क्योंकि वहां कई मछलियां मर गई है मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि ‘वज़ू खाना’ उनकी संपत्ति है और इसे साफ करने की ज़िम्मेदारी उन्हें दी जानी चाहिए।