Amarnath: आज यानी 29 जून से अमरनाथ यात्रा शुरुआत हो गई है और 19 अगस्त 2024 तक यह यात्रा चलेगी। श्रद्धालुओं के लिए ये यात्रा बेहद खास होती है, भक्त भगवान शिव के दर्शन का साल भर इंतजार करते हैं । ये यात्रा श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर करीब 13000 फीट की ऊंचाई पर अमरनाथ की गुफा में समाप्त होती है। हर साल लाखों शिवभक्त इस यात्रा पर जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ यात्रा करने से व्यक्ति को धन और सुख मिलता है। साथ ही कई रुके हुए कामों को भी गति मिलती है। यहीं कारण है कि शिवभक्त बाबा बर्फानी की पूरी यात्रा को बहुत श्रद्धा से पूरा करते हैं।
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अमरनाथ यात्रा की खासियत की बात करें तो अमरनाथ की खासियत यहां के पवित्र गुफा में बर्फ से शिवलिंग का बनना है। साथ ही हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा को बहुत शुभ माना जाता है और कई धार्मिक ग्रंथों में इसके महत्व और नियमों का उल्लेख है। यह कहा जाता है कि भगवान शिव ने मां पार्वती को कई रहस्य बताए थे। तो अगर आपने भी इस साल अमरनाथ यात्रा का मन बनाया है तो आपके लिए ये रहस्य जानना काफी दिलचस्प होने वाला है।
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को कहा था कि प्रभु आप तो अमर हैं लेकिन मुझे हर जन्म में आपको पाने के लिए कठोर तपश्या करनी पड़ेगी। उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि अमरता का रहस्य क्या है? इस पर भगवान शिव ने माता पार्वती को एकांत और गुप्त स्थान पर अपनी अमर कथा सुनाने को कहा। भगवान शिव ने ऐसा इसलिए कहा, ताकि कोई उनकी अमर कहानी नहीं सुन पाए, क्योंकि जो सुनता है, अमर हो जाता है। कहा जाता है कि शिवजी ने इस स्थान पर अमरनाथ की गुफा में मां पार्वती से ये रहस्य बताया था। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती को कहानी सुनाना शुरू किया, तो उसमें दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों का भी उल्लेख था। लेकिन कहा जाता है कि भोलेनाथ की कहानी सुनते-सुनते माता पार्वती सो गई थी, लेकिन महादेव को इस बात का एहसास नहीं हुआ और वह कथा सुनाते रहे।
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इस गुफा में पहले से दो सफेद कबूतर थे, जो कहानी सुन रहे थे। जब भगवान शिव ने देखा कि दोनों कबूतर ने उनकी कहानी सुन ली, तो वह उनका वध करना चाहते थे। यही कारण है कि कबूतर ने कहा कि अगर आप हमें मार देंगे, तो आपकी अनमोल कहानी महत्वहीन हो जाएगी। ऐसे तो प्रभु आपकी कहानी झूठ होगी। महादेव ने कबूतरों की बात सुनते ही प्राण दे दिए। भोलेनाथ ने कहा कि वे सदा इस स्थान पर शिव-पार्वती के प्रतीक के रूप में रहेंगे। यह कबूतर जोड़ा तब से अमर हो गया है, और बहुत से लोगों ने यहां पर उन्हें देखने का दावा किया है। इसलिए यह गुफा अमर कथा का साक्षी बन गई और इसका नाम अमरनाथ गुफा पड़ा।
