पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले का खिरपई कस्बा अपनी खास तरह की मिठाई के लिए काफी मशहूर है। यहां 18वीं सदी के एक अंग्रेज एडवर्ड बाबरसा और मुगल सम्राट बाबर में आज भी प्रतिस्पर्धा है। खिरपई में बनने वाली बाबरसा मिठाई बहुत स्वादिष्ट और खास होती है। Babarsa
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बाबरसा मिठाई के बारे में किंवदंतियां और लोककथाएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन यह मिठाई खिरपाई को मीठे के शौकीनों की सूची में सबसे ऊपर रखती है। बाबरसा पहले मैदा, दूध और घी से बनाया जाता था, जिस पर शहद की परत चढ़ाई जाती थी। लेकिन समय के साथ महंगाई के चलते इस मिठाई को बनाने की सामग्री में भी बदलाव आया है।
कुछ लोगों का मानना है कि अगर सरकार सहयोग करे तो बाबरसा पूरे देश में मशहूर हो सकता है। सामग्री में बदलाव के बावजूद, बाबरसा की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। ग्राहक कहते हैं कि खिरपाई आने पर यह पसंदीदा व्यंजन ज़रूर खाना चाहिए। बाबरसा विरासत पर गर्व करते हुए स्थानीय निवासी और विक्रेता एक अनोखे संगठन की मांग कर रहे हैं। बाबरसा को जीआई टैग के लिए आवेदन कथित तौर पर 2023 में किया गया था लेकिन अभी तक नहीं मिला है। Babarsa
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इस मिठाई से जुड़ी अंग्रेज एडवर्ड बाबरसा की कहानी
18वीं शताब्दी के मध्य में, खिरपाई क्षेत्र पर मराठा विद्रोहियों ने बार-बार हमला किया था। उस दौरान के एक अंग्रेज अधिकारी एडवर्ड बाबरसा ने इन हमलों को रोकने में स्थानीय लोगों की मदद की था। उनके सम्मान में ही स्थानीय मिठाई बनाने वालों ने एक खास तरह की मिठाई बनाई और उसका नाम “बाबरसा” रख दिया। जो आज भी काफी मशहूर है। Babarsa
बाबरसा मिठाई की मुगल सम्राट बाबर से जुड़ी ये है कहानी Babarsa
बाबरसा मिठाई के संबंध में एक अन्य लोककथा के अनुसार, कुछ लोगों ने मुगल सम्राट बाबर को यह मिठाई भेंट की थी। उस समय बाबर को यह मिठाई इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसे अपना ही नाम दे दिया था। यह मिठाई काफी हद तक घेवर जैसी दिखती है।