Barbados Conference: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत लोकतंत्र और समानता का एक जीवंत उदाहरण है, और संविधान पिछले 75 वर्षों से देश के लिए पथ-प्रदर्शक दीपस्तंभ रहा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोकतंत्र भारत की आत्मा है, समानता इसका संकल्प है और न्याय इसकी पहचान है। बिरला ने ये टिप्पणियाँ 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की आम सभा में “राष्ट्रमंडल – एक वैश्विक भागीदार” विषय पर प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कीं। Barbados Conference
बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जलवायु परिवर्तन, महामारी, खाद्य असुरक्षा और असमानता जैसे वैश्विक संकट सीमाओं से परे हैं और इनके लिए सामूहिक समाधान की आवश्यकता है। बिरला ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आग्रह किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि समाधान अलग-थलग रहकर नहीं ढूँढे जा सकते। Barbados Conference
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बिरला ने खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा के महत्व पर ज़ोर देते हुए दुनिया के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला। बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि भारत कभी खाद्यान्न के लिए बाहरी सहायता पर निर्भर था और ऐसे चुनौतीपूर्ण समय से लेकर विश्व शक्ति के रूप में सुस्थापित होने का सफ़र प्रभावशाली रहा है। कोविड- 19 महामारी के दौरान भारत के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हुए, उन्होंने बताया कि भारत ने 150 से ज़्यादा देशों को दवाइयाँ और टीके पहुंचाकर यह सिद्ध किया कि स्वास्थ्य अधिकार है, विशेषाधिकार नहीं।
ओम बिरला ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए गर्व के साथ कहा कि भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने वाला पहला प्रमुख देश बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन जैसी पहलों के माध्यम से, भारत ने पृथ्वी के प्रति वैश्विक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया है। Barbados Conference
ओम बिरला ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में भारत के प्रयासों के बारे में बताते हुए पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधानों का उल्लेख किया । उन्होंने बताया कि ग्रामीण पंचायती राज संस्थाओं में 31 लाख निर्वाचित प्रतिनिधियों में से 14 लाख से अधिक महिलाएँ हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम का भी उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत संसद और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण प्रावधान किया गया है, और भारतीय लोकतांत्रिक संस्थाओं में युवाओं और महिलाओं को प्राथमिकता दिए जाने पर ज़ोर दिया।
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बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि तकनीक, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, लोकतंत्र को पारदर्शी और प्रभावी बना सकते हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया कि तकनीक मानवता की सेवा करे, न कि उस पर हावी हो । इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने ऐसे वैश्विक मानक स्थापित करने का समर्थन किया जिससे नवाचार को बढ़ावा देते हुए किसी भी नुकसान को रोका जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रौद्योगिकी का लाभ सभी तक पहुँचे और साथ ही इसके नकारात्मक प्रभाव कम से कम हों । Barbados Conference
भारत की प्राचीन लोकतांत्रिक विरासत का उल्लेख करते हुए, बिरला ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की भावना इसकी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और ग्राम पंचायत प्रणाली में निहित है। उन्होंने कहा कि संवाद, सहमति और सामूहिक निर्णय लेने की परंपरा ने भारत को दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति बनाया है। इसके अतिरिक्त, श्री बिरला ने उल्लेख किया कि भारत का पारंपरिक ज्ञान और प्राचीन मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’, जो इस बात पर बल देता है कि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है, राष्ट्र का मार्गदर्शन करता है। Barbados Conference
बिरला ने राष्ट्रमंडल देशों की विविधता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विभिन्न भाषाएँ बोलने, विभिन्न परंपराओं का पालन करने और विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में रहने के बावजूद, राष्ट्रमंडल के नागरिक लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवीय गरिमा के साझा मूल्यों से एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि राष्ट्रमंडल केवल देशों का समूह नहीं है; यह एक साझा इतिहास, साझा मूल्यों और साझा भविष्य के सामूहिक दृष्टिकोण से बंधा परिवार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत इस यात्रा में एक सक्रिय भागीदार बना रहेगा। Barbados Conference
ओम बिरला ने राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों को 7 से 9 जनवरी 2026 तक नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे आगामी सीएसपीओसी में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। Barbados Conference