Monsoon Session of Parliament: केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले, 20 जुलाई रविवार को सुबह 11 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक का उद्देश्य सत्र के दौरान सुचारू कामकाज सुनिश्चित करना और विपक्षी दलों से सहयोग प्राप्त करना है। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहित कई वरिष्ठ मंत्री शामिल होंगे। सरकार इस सत्र में आठ नए विधेयक पेश करने की योजना बना रही है, जिनमें आयकर विधेयक, 2025, राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक शामिल हैं।
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दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक भी 19 जुलाई को एक अहम बैठक आयोजित कर रहा है। यह बैठक पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होनी थी, लेकिन अब इसे ऑनलाइन आयोजित करने का फैसला लिया गया है। इस बैठक में कांग्रेस, आरजेडी, शिवसेना (यूबीटी), एसपी जैसे सहयोगी दल सत्र के लिए साझा रणनीति बनाएंगे। हालांकि, आम आदमी पार्टी फिलहाल इस बैठक में शामिल नही होगी, जबकि तृणमूल कांग्रेस टीएमसी के शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है।विपक्ष कई ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। इनमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के युद्धविराम मध्यस्थता के दावे प्रमुख हैं।
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कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक का आरोप है कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इससे अल्पसंख्यक व वंचित समुदायों के मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने और अमेरिकी दबाव में युद्धविराम के आरोपों पर भी विपक्ष सरकार से जवाब मांगेगा।कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में पार्टी की रणनीति समूह की बैठक बुलाई थी, जिसमें राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई, महिलाओं और दलितों के खिलाफ बढ़ते अपराध, और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने जैसे मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाने की योजना बना रहा है।सत्र के दौरान 12 से 18 अगस्त तक रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस के कारण अवकाश रहेगा। सरकार ने सत्र की अवधि को 21 अगस्त तक बढ़ा दिया है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि अंतिम दिनों में कोई बड़ा विधेयक पेश हो सकता है।संसद का यह मानसून सत्र कई मायनों में महत्वपूर्ण होने जा रहा है। विपक्ष की आक्रामक रणनीति और सरकार के विधायी एजेंडे के बीच टकराव तय माना जा रहा है।
