बजट 2024-25: उदयपुर के मार्बल व्यापारियों की अपील, ‘कम हो जीएसटी और ओपन जनरल लाइसेंस स्कीम की समीक्षा हो’

Rajasthan News:  केंद्र सरकार फरवरी में बजट पेश करेगी। इसको लेकर राजस्थान के मार्बल व्यापारी केंद्र सरकार से कई उम्मीद कर रहे हैं।उदयपुर की मार्बल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि इस बजट में एक बार फिर मेक इन इंडिया पर फोकस किया जाएगा, जिसका सीधा फायदा मार्बल इंडस्ट्री को होगा।व्यापारी चाहते हैं कि लोकल लेवल पर खनन किए गए संगमरमर पर जीएसटी में कमी और इंपोर्टेड संगमरमर पर सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी की जाए ताकि लोकल मार्केट को इसका फायदा हो।

2016 में मार्बल इंडस्ट्री को ओपन जनरल लाइसेंस स्कीम में शामिल किया गया था। इंडस्ट्री के व्यापारियों का मानना ​​है कि सरकार को अब उस नीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।व्यापारियों ने एक औऱ मुद्दा उठाया है वो है कि संगमरमर और ग्रेनाइट के लिए इंपोर्टेड और एक्सपोर्ट के नियम अलग अलग हैं। भले ही दोनों पत्थर एक ही कैटेगरी से संबंधित हों। इंडस्ट्री के लोग ये भी चाहते हैं कि सरकार खदानों में पड़े पत्थरों के उपयोग के लिए एक नई नीति बनाने पर विचार करे।साथ ही व्यापारियों ने जीएसटी दर को भी कम करने की अपील की है।

Read also-आवास योजना के लाभार्थियों से पीएम: 22 जनवरी को अपने घरों में राम ज्योति जलाएं

मांगीलाल लुणावत, माइनिंग चेयरमैन, यूसीसीआई: जो हमारे मार्बल के ऊपर जो इंपोर्ट टैक्स लगा रखा है वो बहुत ज्यादा है इसकी वजह से क्या होता है कि हर एक आदमी ओवर बिलिंग वाला चक्कर रहता है इसकी वजह से इसको खत्म करने के लिए मिनिमम टैक्स या आठ से 12 परसेंट कर दिया जाए तो क्या है कि हर एक आदमी के पास जाएगा तो वो कम से कम टैक्स पर जाएगा। इस हिसाब से उसका टैक्स कम होगा और इंपोर्ट माल का जो है जो बाहर से आ रहा है माल उसका रेट आप हेवी रखो ताकि लोकल इंडस्ट्री प्रमोट होती रहे। लोकल इंडस्ट्री के प्रमोटिंग के साथ साथ हमें इसकी रेवेन्यू भी जो गवर्नमेंट को जो मैक्सिमम रेवेन्यू जो मिल रही है वो निश्चित तौर पर अगर आपने टैक्स रेट कम कर दिए तो गवर्नमेंट की टैक्स रेवेन्यू डबल होगी। जीएसटी में जो मैंने ये टैक्स के लिए रिक्वेस्ट की है कि टैक्स में रेट्स कम होने चाहिए।”

शरद कटारिया, पूर्व अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति: हम चाहते हैं कि इंडियन स्टोन के ऊपर टैक्स कम हो और जो इंपोर्टेड स्टोन आ रहा है उसके ऊपर टैक्स बढ़े ताकि इंडियन स्टोन मैक्सिमम यूटिलाइजेशन हो सके हमारा। दूसरा जहां पर भी गवर्नमेंट प्रोजेक्ट हो रहे हैं या कोई भी प्रोजेक्ट गवर्नमेंट ले रही है या परमीशन दे रही है उसमें इंडियन स्टोन का वैल्युबल यूज इंपोर्टेड स्टोन के बराबर होनी चाहिए, ताकि कोई भी प्रोजेक्ट होगा उसमें ज्यादातर इंडियन स्टोन लगेगा।”

कपिल सुराणा, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति: मार्बल इंडस्ट्री है आज पिछले पांच सात साल पहले गवर्नमेंट ने मार्बल को एक ओपन जनरल लाइसेंस स्कीम के अंदर डाल दिया था। उसका एक इफेक्ट राजस्थान की इंडस्ट्री पर ये हुआ कि जितनी भी यहां पर क्वेरीज थी उसकी 50 परसेंट क्वेरीज बंद हो गई हैं और जो इंपोर्टेड माल जो पहले लाइसेंस्ड था उसके बाद पिछले पांच साल में जो पहले आठ लाख टन आता था वो आज 16 से 20 लाख टन भारत में आने लग गया है। उसका एक विपरीत प्रभाव राजस्थान की मार्बल इंडस्ट्रीज पर पड़ा है। मैं पूरी मार्बल इंडस्ट्री की तरफ से ये निवेदन करना चाहूंगा कि आगामी बजट के अंदर इस स्कीम को वापस से रिव्यू किया जाए और पिछले पांच साल के जो फैक्चुअल डेटा हैं उसको वापस एक लिमिटेशन के अंदर रखा जाए कि आठ लाख, 10 लाख या 12 लाख टन से ज्यादा इंपोर्टेड मार्बल इंडिया में नहीं आ पाए।”

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *