CJI: किसी ने बड़े कमाल की बात कही है कि कई बार आपके प्लान कुछ और होते हैं लेकिन भगवान की मर्जी कुछ और ही होती है। इसका हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी अनुभव किया होगा। ऐसा ही कुछ संजीव खन्ना की जिंदगी में भी हुआ। उनके माता-पिता चाहते थे कि वे CA बने लेकिन उन्होंने ये रास्ता छोड़कर वकालत का रास्ता अपनाया। कहा जाता है कि अपने चाचा के कदमों पर चलते हुए संजीव खन्ना ने ये रास्ता अपनाया।
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देश के नए CJI संजीव खन्ना 11 नवंबर को शपथ लेंगे। जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें CJI होंगे। इनके वकालत करियर की शुरुआत 1983 में हुई जब इन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। पहले संजीव खन्ना दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे और फिर उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में प्रमोट किया गया। ये दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे।
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CA से कैसे वकालत की राह पर पहुंचे?
जस्टिस संजीव खन्ना की मां सरोज खन्ना एक कॉलेज में लेक्चरर थी और इनके पिता देवराज खन्ना पेशे से एक वकील थे। इनके पिता बाद में दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने। इनके माता और पिता इन्हें Chartered Accountant (CA) बनाना चाहते थे। उनका मानना था कि कानूनी पेशे में मेहनत और संघर्ष बेहद ज्यादा है। इनका मन वकालत के काम में ही ज्यादा लगता था जब ये अपने चाचा को काम करते हुए देखते थे। इन्होंने अपने चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना को अपना गुरु बनाया। उनको काम करता देखकर ये वकालत में रूचि लेने लगे। वहां से संजीव खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश तक का सफर तय किया।
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