केरल में तेजी से कम हो रहा नारियल उत्पादन, राज्य को पहचान खोने का डर

Coconut

Coconut: केरल या केरलम शब्द का मतलब है, नारियल के पेड़ों की भूमि। लेकिन केरल जल्द ही ये दर्जा खो सकता है।नारियल के पेड़ों के लिए मशहूर राज्य में नारियल के पेड़ और नारियल का उत्पादन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।पिछले कुछ महीनों में केरल में नारियल और नारियल तेल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। एक किलोग्राम नारियल की कीमत 85 रुपये से ज्यादा हो गई है, जबकि नारियल तेल की कीमत लगभग 600 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है।Coconut:

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दुनिया भर में नारियल के फायदों को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। इसके साथ ही नारियल की मांग भी बढ़ रही है। जलवायु परिवर्तन और जमीन की कमी के कारण होने वाली बीमारियां समस्या को और बढ़ा रही हैं। जानकार ये भी कहते हैं कि केरल के लोग अब नारियल के पेड़ों की पहले जैसी देखभाल नहीं करते। नारियल के पेड़ों के बारे में पारंपरिक ज्ञान भी धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है।Coconut:

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नारियल केरल की संस्कृति का अभिन्न अंग है। नारियल पीढ़ियों से जायकेदार खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होता आ रहा है। भारी संख्या में लोगों की आजीविका का जरिया रहा है और केरल की मजबूत पहचान रहा है। समय रहते नारियल के पेड़ों की उचित देखरेख, रोग प्रबंधन और नए पौधों का रोपाई नहीं की गई, तो नारियल जल्द ही अपने ही घर में अजनबी बन सकता है।अब केरल के सामने चुनौती सिर्फ एक फसल को बचाने की नहीं, बल्कि अपनी पहचान को भी बचाने की है।Coconut:

डॉ. टी. संतोष कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रमुख, नारियल अनुसंधान केंद्र, बलरामपुरम- हमारे शोध के मुताबिक सबसे महत्वपूर्ण कारण नारियल के पेड़ पर चढ़ने वालों की कमी है। मुकुट की सफाई जैसी नारियल के पेड़ों देखभाल नहीं हो पाती है, जो पेड़ों के विकास के लिए जरूरी है।“Coconut:

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