Ajay Makan News: राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा में पूर्व गृह राज्य मंत्री और कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी विपक्ष की ओर से मोर्चा संभाला।अजय माकन ने देश मे कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दे उठाते हुए सिलसिले बार तरीके से सदन में कई सवाल उठाए है। सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए अजय माकन ने कहा कि दिल्ली के कोहाट एन्क्लेव में दो दिन पहले एक वृद्ध दंपत्ति ही हत्या हो गई और उसके 2-3 दिन पहले चांदनी चौक में एक व्यापारी से 80 लाख रुपए की लूट हो गई।दिल्ली पुलिस, केंद्रीय गृह मंत्री के अंतर्गत आती है। केंद्र सरकार 11 से 12 हजार करोड़ रुपए दिल्ली पुलिस पर खर्च करती है। उसके बाद भी दिल्ली क्राइम कैपिटल बनी हुई है।
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अजय माकन ने कहा कि मेरे पास NCRB के आंकड़े हैं-
• देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 66.4% है और दिल्ली में 144% है। पूरे हिन्दुस्तान में दिल्ली नंबर 1 पर है।
• बच्चों के खिलाफ अपराध की दर हिन्दुस्तान में 36% है और दिल्ली में 134% है, यहां भी दिल्ली देश में नंबर 1 पर है।
• बुजुर्गों के खिलाफ अपराध में 7.5% की दर देश में है और दिल्ली में 114% है, दिल्ली की रैंक फिर से नंबर 1 है।
तो वहीं, महिलाओं के खिलाफ अपराध के केस 31 हजार मुंबई में, 15 हजार कोलकत्ता में, बैंगलुरू में 18 हजार, हैदराबाद में 10 हजार और दिल्ली में 77 हजार पेंडिंग हैं। NCRB के आंकड़ों के अनुसार 2016 में 29 हजार केस पेंडिंग थे, जो कि बढ़कर 77 हजार हो गए।
बच्चों के खिलाफ अपराध की बात करें तो मुंबई में 10 हजार, कोलकत्ता में 3 हजार, बैंगलुरू में 3 हजार, हैदराबाद में 1,600, और दिल्ली में 19 हजार केस पेंडिंग हैं।मेरा अनुरोध है कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को पेंडिंग केस पर मिलकर काम करने की जरूरत है।अभी किसानों का आंदोलन चल रहा है, पंजाब में किसानों हटा दिया गया। BPR&D की रिपोर्ट में पहले आंदोलनों का पूरा ब्यौरा प्रकाशित होता था कि किस राज्य में कितने आंदोलन हुए?
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2017 के बाद से आंदोलन का डाटा प्रकाशित करना बंद कर दिया, इसमें कारण ये बताया गया कि NCRB की रिपोर्ट में लोक शांति के विरुद्ध श्रेणी में आंदोलन का डाटा प्रकाशित किया जा रहा है, तो इसे जारी रखा जाएगा, लेकिन BPR&D इसे प्रकाशित नहीं करेगा।अजय माकन ने कहा कि तो प्रश्न ये उठता है कि ‘क्या आंदोलन अपराध की श्रेणी में आते हैं?’जब वंचित शोषित लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाते हैं, तो क्या वो अपराध की श्रेणी में आ जाते हैं? क्या देश के किसान अपराधी हैं? BPR&D की रिपोर्ट में आंदोलन का चैप्टर फिर से शुरू करना चाहिए, उसे अपराध की श्रेणी से हटा देना चाहिए।हमारे देश की युवा आबादी सबसे अधिक है। आज हमारी युवा आबादी नशे की शिकार हो रही है।
• 2010 से 2014 के बीच नशे की घटनाएं 33 हजार थीं, और 2022 के NCRB में ये घटनाएं बढ़कर 1 लाख 15 हजार हो गईं। ये आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं।
• 2014 में प्रति लाख की आबादी पर नशे की घटनाओं की दर 2.7% थी, जो अब 2022 में बढ़कर 8.7% हो गई।
• 2015 में दिल्ली में NDPS की 277 घटनाएं हुईं, 2024 में बढ़कर 1,779 घटनाएं हो गईं।
मैं सिंथेटिक ड्रग्स की स्थिति बताना चाहता हूं, जो कि लैब में बनाया जाता है और बहुत खतरनाक होता है।
• ATS ड्रग 2022 में 1,224 किलो पकड़ी गई, साल 2024 में 8,200 किलो ड्रग पकड़ी गई
• Dopamine ड्रग्स 2022 में 3 किलो पकड़ी गई, साल 2024 में 65 किलो ड्रग पकड़ी गई
• MDMA ड्रग 2022 में 63 किलो पकड़ी गई, साल 2024 में 195 किलो पकड़ी गई
• LSD का आंकड़ा 2022, 2023 में शून्य था, लेकिन साल 2024 में 1 किलो ड्रग पकड़ी गई
• Mephedrone ड्रग 2022 में 2,872 किलो पकड़ी गई, साल 2024 में 3,559 किलो ड्रग पकड़ी गई
• Mescaline ड्रग 2022 में 2kg से बढ़कर 2024 में 25 किलो ड्रग पकड़ी गई
देश में सिंथेटिक ड्रग का आंकड़ा 2 साल में 20-22 गुना तक बढ़ गया है। सभी जानते हैं कि पहले ड्रग्स आता है, फिर गैंगवॉर और फिर आतंकवाद आता है। देश में NDPS की दर 8.7 है तो वहीं पंजाब में दर 40 और केरल में 74 की दर है।पंजाब में ड्रोन से ड्रग आ रही है। पंजाब में गैंग्सटर्स जेल से ऑपरेट कर रहे हैं। पंजाब के पुलिस स्टेशन में ग्रेनेड से हमले हो रहे हैं। लोगों को टारगेट कर हत्या हो रही है।2022 से लेकर अबतक 15 प्रमुख घटनाएं हुई हैं, जिनमें RPG रॉकेट लॉन्चर से चले ग्रेनेड, विस्फोट, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स जैसे समूहों से जुड़ी हत्याएं शामिल हैं।
इन मामलों में 14 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है लेकिन AK47 गन, ब्लॉक पिस्टल्स और Arges grenade पाए जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल हो रहा है। इन ग्रेनेड का इस्तेमाल मुंबई हमले और संसद हमले में हुआ था।अजय माकन ने आगे कहा कि सवाल है कि ये हमारे देश में कैसे आ रहे हैं और इनका इस्तेमाल पंजाब में हो रहा है? ये साजिश गहरी है और ये सीमा पार से हो रही है, इसे हमें रोकना है।अजय माकन ने कहा कि सीमा की बात करें तो, बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अलग-अलग स्कीम हैं।
• बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम में 2024-25 में बजट आवंटन 335 करोड़ रुपए का था, जिनमें से 110 करोड़ रुपए ही इस्तेमाल हुए, 225 करोड़ रुपए यानी 67% लैप्स हो गए।
• बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्टर एंड मैनेजमेंट स्कीम में 2023-24 में 10.5 लैप्स हुआ 2024-25 में 19% लैप्स हो गया। पिछले 3 साल में 3 हजार करोड़ रुपए मुश्किल से खर्च किए गए। इस साल 5,590 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।
गृह मंत्रालय पिछले 7 साल में बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर और पुलिस-मॉर्डनाइजेशन पर 17,697 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं कर पाया।
Central Armed Police Forces के चौथे मॉर्डनाइजेशन प्लान में 2022-2026 में 1,523 करोड़ रुपए तय किया गया। 2025 चल रहा है, लेकिन इस बजट से केवल 287 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं।एक रिपोर्ट कहती है कि जो हमारी फ़ोर्स स्ट्रेंथ हैं, उसमें 11% पुलिस फोर्सेस में खाली पद हैं। पैरा मिलिट्री फोर्सेस में 1,10,000 की जगह खाली है।2011 की जनगणना का काम हमने 2009 से शुरू कर दिया था और ये हमारे लिए क्यों जरूरी है, ये भी जानना जरूरी है।
हमारे सारे पब्लिक वेलफेयर के प्रोग्राम जनगणना के आधार पर होते हैं। 2011 में हमारी जनसंख्या 121 करोड़ थी और अभी अनुमानित 146 करोड़ है, यानी 25% जनसंख्या बढ़ी है।नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत 70% ग्रामीण और 50% शहरी लाभार्थी हो सकते हैं। यानी अगर अभी जनगणना होती है तो 15 करोड़ गरीब लोगों को NFSA का फायदा मिलेगा। जनगणना नहीं कराकर आप 15 करोड़ लोगों को वंचित रख रहे हैं।अगर हम जनगणना नहीं कराएंगे, तो हम लाभार्थी तय नहीं कर सकेंगे। हमारे सारे सर्वे गलत होंगे, इसलिए जनगणना समय पर होनी चाहिए।
जनगणना का 2020-21 में 85% पैसा लैप्स हो गया, 2021-22 में 86%, 2022-23 में 85%, 2023-24 में 65% और पिछले साल 58% पैसा लैप्स हो गया।इस साल के बजट को देखकर भी नहीं लग रहा कि जनगणना कर पाएंगे और फिर इस देश की गरीब जनता योजनाओं से वंचित रह जाएगी।ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से आपदा प्रबंधन पर बजट ज्यादा होना चाहिए, क्योंकि हमारे यहां आपदाएं बढ़ रही हैं। प्राकृतिक आपदा रिलीफ के बजट में 7.5% कटौती कर दी गई है। NDRF में 23% की वैकेंसी है। जब ग्लोबल वॉर्मिग बढ़ रही है, तो हम कैसे आपदा प्रबंधन के बजट में कटौती कर सकते हैं।