कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि साल 1991 के पूजा स्थल अधनियम को ज्यों का त्यों लागू किया जाना चाहिए। हालांकि, पूर्व प्रधान न्यायाधीश की ढाई साल पुरानी टिप्पणियों ने बेवजह का मुद्दा दे दिया। संभल में एक मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह पर दावों से जुड़े विवाद के बारे में पूछे जाने पर जयराम रमेश ने कहा, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है।”
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कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि संभल में एक मस्जिद और अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दावे जैसे हालिया विवाद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को अपनी सीडब्ल्यूसी बैठक में पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई है और यही हमारी स्थिति है। हम इसे उठाने जा रहे हैं लेकिन इसके लिए संसद को काम करना होगा और सबसे जरूरी बात ये है कि संसद को ऐसा करना ही होगा।”
जयराम रमेश ने कहा, “संसद को चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। ये सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। विपक्ष को अपनी बात कहनी होगी लेकिन सरकार को अपना रास्ता अपनाना होगा। लेकिन यहां सरकार अपने रास्ते से भटक गई है और नहीं चाहती कि संसद चले।”
संभल में एक मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह पर दावों से जुड़े विवाद के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है। 20 मई, 2022 को पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की ओर से की गई टिप्पणियों ने बेवजह का मुद्दा दे दिया। संसद के दोनों सदनों से पारित और सितंबर 1991 में राजपत्रित पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को खोल दिया है। इसे ज्यों का त्यों लागू किया जाना चाहिए।”
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कांग्रेस का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी इस कानून का बेशर्मी से उल्लंघन कर रही है। ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने मई, 2022 में कहा था कि पूजा स्थल अधिनियम किसी को 15 अगस्त, 1947 को किसी संरचना के धार्मिक चरित्र का पता लगाने से नहीं रोकता है।
pti