चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी – पार्टी ने बहुत कुछ दिया अब कर्ज उतारने का समय

उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने अपना संबोधन दिया | Tota tv, कांग्रेस चिंतन शिविर, Latest news,

उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने अपना संबोधन दिया। इस दौरान सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार नफरत फैलाकर अल्‍पसंख्‍यकों को दबा रही है। सामाजिक तानेबाने को नष्‍ट किया जा रहा है। देश का संविधान खतरे में है इसलिए हमें फिर से साहस का परिचय देना होगा।

कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि हर संगठन को ना केवल जीवित रहने के लिए बल्कि बढ़ने के लिए भी अपने अंदर परिवर्तन लाने होते हैं। हमें सुधारों की सख्‍त जरूरत है। रणनीति में बदलाव और ढांचागत सुधार लाने जरूरी है। मैं ये भी जोर देकर कहना चाहूंगी कि हमारा पुर्नउत्‍थान सिर्फ विशाल सामूहिक प्रयासों से ही हो पाएगा। हमारे लंबे और सुनहरे इतिहास में एक ऐसा समय आया है जब हमें अपनी निजी आंकाशाओं को संगठन के हितों के अधीन रखना होगा। पार्टी ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है और अब कर्ज उतारने का समय है। मैं समझती हूं कि इससे आवश्‍यक और कुछ नहीं है।

मैं आप सबसे आग्रह करती हूं कि अपने विचार खुलकर रखें मगर बाहर सिर्फ एक ही संदेश जाना चाहिए। हाल में मिली नाकामायिबों से हम बेखबर नहीं है और ना ही हम उस संघर्ष की कठिनाइयों से बेखबर है जो हमें करना है और जीतना है। लोगों की अपेक्षाओं से हम अनजान नहीं हैं। हम देश की राजनीति में अपनी पार्टी को फिर से उसी भूमिका में लाएंगे जो भूमिका पार्टी ने सदैव निभाई है और जिस भूमिका की उम्‍मीद इन बिगड़ते हालातों में देश की जनता हमसे करती है। हम यहां पूरी विनम्रता के साथ आत्‍मनिरीक्षण तो कर रहे हैं लेकिन आज हम ये तय करें कि जब हम यहां से निकलेंगे तो एक नए आत्‍मविश्‍वास, एक नई ऊर्जा के साथ निकलेंगे।

 

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सोनिया गांधी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस की नीतियों की वजह से ही देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसपर विचार करने के लिए ये शिविर एक बहुत अच्छा मौका है ये देश के मुद्दों पर चिंतन और पार्टी के सामने समस्याओं पर आत्मचिंतन दोनों ही है

सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि अब तक यह पूरी तरह से और दर्दनाक रूप से स्पष्ट हो गया है कि पीएम मोदी और उनके सहयोगियों का वास्तव में उनके नारे अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकारसे क्या मतलब है? इसका अर्थ है कि देश को ध्रुवीकरण की स्थायी स्थिति में रखना, लोगों को लगातार भय और असुरक्षा की स्थिति में रहने के लिए मजबूर करना, अल्पसंख्यकों को शातिर तरीके से निशाना बनाना और उन पर अत्याचार करना जो हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं और हमारे देश के समान नागरिक हैं।

 

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