अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ पर बोली कांग्रेस- सभी हितधारकों से परामर्श कर रणनीति बनाए मोदी सरकार

कांग्रेस ने अमेरिका के हालिया टैरिफ निर्णयों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र सरकार से संबंधित हितधारकों से परामर्श कर अमेरिका से बातचीत के लिए राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए रणनीति बनाने और विशेष रूप से किसानों, डेयरी और पोल्ट्री क्षेत्रों की रक्षा पर जोर दिया है। साथ ही, कांग्रेस ने यह भी कहा कि व्यापार समझौतों में भारत के कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी महत्वपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए, क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए जरूरी है।

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नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा से पूरी दुनिया के व्यापार को चोट पहुंची है। 75 साल के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को एक फैसले ने बिखेर दिया है। यह फैसला सिर्फ अर्थशास्त्र और व्यापार जगत तक सीमित नहीं है। चाहे अमीर हों या गरीब, सभी देश इससे सीधे प्रभावित हैं। अमेरिका द्वारा उठाया गया यह कदम बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था, विशेष रूप से वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर भारत सरकार की रणनीति को लेकर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। अमेरिका के साथ भारत के कई महत्वपूर्ण समझौते हैं और वह हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। इस बात के संकेत मिले हैं कि सरकार की ओर से द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए कार्याधिकार की शर्तें तय की जा रही हैं। वो क्या हैं और उनके मापदंड क्या हैं, इस पर देश को विश्वास में लिया जाना चाहिए। बिना बताए ऐसे कोई निर्णय न हों, जिसकी कीमत लंबे समय तक देश चुकाता रहे। उन्होंने कहा कि अभी तक जो चर्चा है उसमें सर्विसेस का जिक्र नहीं है। कोई भी समझौता सर्विस सेक्टर को शामिल किए बिना भारत को मंजूर नहीं होना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि इस मुद्दे पर भारत का जो भी समझौता हो, वो संतुलित, सम्मानजनक और राष्ट्रहित में होना चाहिए।

आनंद शर्मा ने मोदी सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा कि इतने महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए थी। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर अपनी रणनीति बताए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत को व्यापार के लिए अन्य विकल्प तलाशने चाहिए और यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम एवं खाड़ी देशों के साथ व्यापार समझौतों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिका के इस निर्णय से भारत का कृषि, डेयरी, पोल्ट्री क्षेत्र और कपड़ा व छोटे उद्योग सीधे प्रभावित होंगे। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर सभी संबंधित हितधारकों- व्यापार व उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, कृषि, डेयरी, पोल्ट्री व टैक्सटाइल क्षेत्रों के लोगों और विशेषज्ञों से परामर्श कर अमेरिका से बातचीत के लिए रणनीति बनाई जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन करे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर अनुभवी लोग शामिल हों। यह टास्क फोर्स न केवल भारत की वार्ता की रूपरेखा तय करे बल्कि मजबूत निगरानी तंत्र भी बनाए, जो भारत के व्यापार की दिशा का आकलन करता रहे।

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