Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के नॉर्थ कैंपस के बीच में बनी ये इमारत ऐतिहासिक है। ये इमारत न केवल ब्रिटिश हुकूमत के बल्कि अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह और क्रांति की गवाह रही है। अंग्रेजों के समय में ये इमारत ब्रिटिश वायसराय का घर हुआ करती थी, आज ये दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति के दफ्तर के तौर पर प्रयोग में लाई जा रही है।
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ये वाइसरीगल लॉज भारत के कुछ निर्णायक पलों की याद दिलाता है। साल 1903 में लॉर्ड कर्जन के दिल्ली दरबार और फिर साल 1911 में किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक के लिए बनी वाइसरीगल लॉज दिल्ली में शाही ताकत का केंद्र हुआ करती थी। साल 1912 से साल 1931 तक राजधानी के रायसीना की पहाड़ियों पर स्थानांतरित होने से पहले ये हार्डिंग, चेम्सफोर्ड, रीडिंग और इरविन जैसे अंग्रेज वायसरायों का घर हुआ करती थी। Delhi University
साल 1857 के विद्रोह के दौरान इस इमारत के आस-पास भीषण जंग हुई। दशकों बाद भगत सिंह को उनके मुकदमे के दौरान इसी इमारत की काल कोठरी में कैद किया गया था। इतना ही नहीं, साल 1931 में इसी इमारत में गांधी-इरविन समझौते पर दस्तखत हुए थे। ये एक ऐसा समझौता था, जिसने भारत के सविनय अवज्ञा आंदोलन की दिशा तय की। राजनीति के अलावा वाइसरीगल लॉज इश्क और मोहब्बत का भी गवाह रहा है। साल 1922 में युवा नौसेना अधिकारी लुई माउंटबेटन ने इसी जगह पर एडविना एश्ले से अपने प्यार का इजहार किया था। आज ये जगह दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार दफ्तर के नाम से मशहूर है। इतिहास की इस याद को हमेशा जिंदा रखने के लिए यहां एक पट्टिका लगाई गई है।
हालांकि साल 1922 में इस ऐतिहासिक इमारत की पहचान बदल गई। दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना के साथ इस इमारत ने एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। साल 1933 तक वाइसरीगल लॉज को औपचारिक रूप से यूनिवर्सिटी को सौंप दिया गया।इसका भव्य बॉलरूम दीक्षांत समारोह हॉल बन गया, इसके कक्ष दफ्तरों में बदले गए। इसका परिसर लॉ फैकल्टी और यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में तब्दील हो गया। यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी का पहला फर्नीचर लॉर्ड लिनलिथगो ने उपहार में दिया था। Delhi University
ये वाइसरीगल लॉज के गुजरे माझी की याद दिलाता है। साल 2000 के दशक के शुरुआती दौर में हुए रिनोवेशन ने लॉज की भव्यता को फिर से पुनर्जीवित किया। आज ये न सिर्फ कुलपति के दफ्तर के रूप में कार्य करता है, बल्कि इसमें एक संग्रहालय भी है। जिस कोठरी में भगत सिंह को कैद करके रखा गया था, लोग उसे आज देखने के लिए आते हैं।
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दिल्ली यूनिवर्सिटी के अभिलेखागार में पुराने पत्र, नक्शे और तस्वीरें संभाल कर रखी हुई हैं, जो यूनिवर्सिटी और इस ऐतिहासिक शहर के किस्से बयां करते हैं। अंग्रेजों के जमाने में सत्ता के केंद्र से लेकर शिक्षा के मंदिर तक वाइसरीगल लॉज का सफर दिल्ली के बदलाव और साम्राज्यवाद से लोकतंत्र तक भारत के कठिन संघर्ष को बयां करता है। इसके गलियारे आज भी दिल्ली के इतिहास की कहानियां बोलते हैं और बरसों पुराने किस्से-कहानियों की याद दिलाते हैं। Delhi University