DIVORCE: देश में तलाक होना इन दिनों जैसे आम बात हो गई है। तलाक होना बच्चों के लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव हो सकता है।तलाक का बच्चों के फ्यूचर पर गहरा प्रभाव पडता है। इसलिए अगर पेरेंट्स ( माता- पिता) अगर तलाक लेने का सोच रहे है तब आप बच्चों की मेंटली हेल्थ को पहले से तैयार करना चाहिए।तलाक का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता हैं। ऐसे में बच्चों में भावनात्मक संकट, व्यवहार में बदलाव और शैक्षणिक कठिनाइयां शामिल हैं
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देश में अलग-अलग धर्म के लोगों को अपने रीति-रिवाज के अनुसार शादी करने की अनुमति होती है। इसलिए तलाक के प्रावधान भी अलग-अलग हैं। हिंदुओं में शादी की व्यवस्था हिंदू मैरिज एक्ट से अनुसार होती है। इसमें ऐसे भी प्रावधान किए गए हैं, कि जहां सिर्फ पत्नी ही नहीं पति को भी अपनी पत्नी से मेंटेनेंस और एलिमनी मांगने का हक दिया गया है।
बच्चों को समय दें: तलाक जीवन का कड़वा अनुभव है।तलाक के कई ऐसे मामले होते हैं जिसमें बच्चे की उम्र काफी कम होती है. बच्चा तलाक और माता पिता के बीच टकराव को समझ नहीं पाता और इससे वह माता पिता को लड़ते या फिर अलग होते हुए देखता है तो परेशान हो जाता है. ऐसी स्थिति में जरूरी है कि माता पिता में तलाक ने ऐसे में बच्चों को आप समय दे । उनकी भावनाओं को समझे ।
बच्चे की काउंसलिंग कराएं: जब भी माता पिता के बीच तलाक हो या होने वाला ऐसे में आप बच्चों की हेल्थ को लेकर अलर्ट रहे। बच्चों की काउंसलिंग जरूर करें ताकि बच्चे अपनी फीलिंग्स को शेयर कर सके.इसके साथ ही यह जरूरी है कि जितना संभव हो बच्चे को सेफ्टी दे और उन्हें प्यार दे।
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