Hemant Soren : झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का राजनैतिक करियर उथल-पुथल भरा रहा है। जिसमें उन्हें कानूनी लड़ाइयों और पार्टी के अंदरूनी झगड़ों से जूझना पड़ा है।झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सियासी करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा है, जिसमें उन्हें कानूनी लड़ाई से लेकर पार्टी में आंतरिक कलह तक का सामना करना पड़ा है।
Read also- डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान देंगे राज्यसभा उपसभापति हरिवंश
हालांकि, 49 साल के सोरेन राज्य के राजनैतिक परिदृश्य में मजबूती से उभरे हैं और खुद को आदिवासी अधिकारों के मजबूत पैरोकार के रूप में स्थापित किया है। लेकिन सत्ता में उनका आना बिल्कुल भी आसान नहीं था।अपने कंधों पर आदिवासी उम्मीदों और आकांक्षाओं का भार लेकर, सोरेन को एक मुश्किल लड़ाई का सामना करना पड़ा।
सोरेन ने गुरुवार को यहां एक भव्य समारोह में राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।जेएमएम नेता रिकॉर्ड चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। हाल में हुए चुनाव में हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ पिछले दो महीनों में करीब 200 चुनावी रैलियों को संबोधित किया।सोरेन बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर उनके प्रशासन को अस्थिर करने का प्रयास करने का आरोप लगाते रहे हैं।
Read also- बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ संतों ने संभाला मोर्चा, कर दी ये डिमाड़
हेमंत ने 2009 में राज्यसभा सदस्य के रूप में अपनी सियासी पारी की शुरुआत की। हालांकि, 2010 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीजेपी -जेएमएम सरकार में उप-मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।साल 2012 में बीजेपी और जेएमएम की राहें जुदा होने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।वर्ष 2013 में हेमंत ने कांग्रेस और आरजेडी के समर्थन से 38 साल की उम्र में झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, उनका पहला कार्यकाल बहुत छोटा था।
हेमंत दिसंबर 2019 में कांग्रेस और आरजेडी के सहयोग से एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए।उनकी पार्टी ने झारखंड विधानसभा चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 81 सीट में से 30 पर कब्जा जमाया, जो उनके नेतृत्व की बढ़ती लोकप्रियता की तरफ भी इशारा करता था।हालांकि, हेमंत का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है। वर्ष 2023 की शुरुआत में भूमि घोटाले से जुड़े कथित धनशोधन मामले में उनका नाम उछला।हेमंत ने केंद्र पर 1.36 लाख करोड़ रुपये के कोयला खनन बकाये का भुगतान न करने का आरोप लगाया है।
