किसान नेताओं ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए वित्तीय सहायता और मशीनें अब तक नहीं मिलीं

Stubble Burning: सरवन सिंह पंढेर संयोजक किसान यूनियन ने बताया सुप्रीम कोर्ट ने पिछली बार जो फैसले लिए थे, जिसमें 100 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता शामिल थी, उसे लागू किया जाना चाहिए। इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का छोटे किसानों को सहायता देने का फैसला भी अभी तक लागू नहीं हुआ है। सरकार को जो 11 हजार मशीनें उपलब्ध करानी चाहिए थीं, वो अब भी गायब हैं। सरकार के लिए किसानों के पक्ष को समझना बहुत जरूरी है। किसानों को असहाय नहीं बनाया जाना चाहिए। हम ये भी कहना चाहेंगे कि प्रदूषण फैलाने वाले सभी कारकों पर कार्रवाई की जानी चाहिए, केवल पराली जलाने पर ही विचार नहीं किया जाएगा।डॉ. सरदारा सिंह जोहल, चांसलर, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब:पराली जलाने का मुद्दा कमजोर राजनैतिक ढांचे के कारण है, ये राजनीति से प्रेरित नहीं है। सरकार इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। कांग्रेस, अकाली दल और अन्य सरकारें कोई ऐसा नहीं कर पाई। किसान जगह-जगह धरना दे रहे हैं लेकिन सरकार उनका समाधान नहीं ढूंढ पा रही है। इसलिए मैं किसानों और सरकार से अपील करता हूं कि वे इस मुद्दे को सद्भाव से सुलझाएं।

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पंजाब में किसान नेताओं ने कहा कि खेतों में पराली से निपटने के लिए सरकार ने वित्तीय सहायता और मशीनें उपलब्ध कराने का जो आश्वासन दिया था, वो अब तक पूरा नहीं हुआ है।सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूछा था कि क्या पंजाब सरकार केंद्र से कोई वित्तीय मदद लिए बिना पराली के निपटान के लिए पूरी फंडिंग कर सकती है।18 किसान यूनियनों के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “सरकार को जो 11 हजार मशीनें उपलब्ध करानी चाहिए थीं, वो अब भी गायब हैं। सरकार के लिए किसानों के पक्ष को समझना बहुत जरूरी है। किसानों को असहाय नहीं बनाया जाना चाहिए। हम ये भी कहना चाहेंगे कि प्रदूषण फैलाने वाले सभी कारकों पर कार्रवाई की जानी चाहिए, केवल पराली जलाने पर ही विचार नहीं किया जाएगा।अभी तक पराली मशीनों पर पंजाब सरकार 80 प्रतिशत जबकि केंद्र 20 प्रतिशत सब्सिडी देती है। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर केंद्र से अधिक वित्तीय सहायता की मांग की।लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए कि ये राज्य की जिम्मेदारी है, इस सुझाव पर मान सरकार से जवाब मांगा कि पंजाब पराली प्रबंधन की प्रक्रिया को पूरी तरह से वित्त पोषित करे।अदालत ने साफ किया कि पूर्ण फंडिंग का मतलब मशीन की खरीद पर होने वाला खर्च, उन मशीनों का उपयोग करने के लिए जनशक्ति और मशीन को चलाने के लिए ईंधन से है।पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. सरदारा सिंह जोहल ने कहा कि बाद की सरकारें इस मुद्दे से निपटने में विफल रही हैं।

डॉ. सरदारा सिंह जोहल ने कहा, “पराली जलाने का मुद्दा कमजोर राजनैतिक ढांचे के कारण है, ये राजनीति से प्रेरित नहीं है। सरकार इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। कांग्रेस, अकाली दल और दूसरे सरकारें कोई ऐसा नहीं कर सकीं। किसान जगह-जगह धरना दे रहे हैं लेकिन सरकार उनका समाधान नहीं ढूंढ पा रही है। इसलिए मैं किसानों और सरकार से अपील करता हूं कि वे सौहार्द के साथ इस मुद्दे को सुलझाएं।’पंजाब सरकार ने एक हलफनामे में अदालत को बताया कि पराली जलाने के आरोप में अब तक किसानों के खिलाफ 984 एफआईआर दर्ज की गई हैं और लगभग 2.63 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले पराली जलाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि किसानों को ‘खलनायक’ बनाया जा रहा है और उनकी बात नहीं सुनी गई।

(Source PTI)

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