Haryana: हरियाणा में पिछले साल की तुलना में धान की फसल के अवशेष जलाने से जुड़े आग वाले स्थानों में 95 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
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पिछले साल 15 सितंबर से छह अक्टूबर तक राज्य में ऐसी 150 घटनाएं दर्ज की गई थीं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसार इस साल इसी अवधि के दौरान यह संख्या घटकर केवल सात रह गई है। सभी जिलों ने उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए ‘पराली सुरक्षा बल’ का भी गठन किया है।
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एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पराली जलाने के सात सक्रिय स्थानों में से तीन मामलों में उचित कार्रवाई की गई है। इसमें कहा गया है कि दो अग्निस्थल गैर-कृषि प्रकृति के पाए गए – एक फरीदाबाद में कचरे से जुड़ा था और दूसरा सोनीपत में औद्योगिक कचरे से जुड़ा था। रिपोर्ट के अनुसार, इस सफलता का श्रेय राज्य सरकार के व्यापक निगरानी तंत्र को दिया जा सकता है, जिसमें सभी जिलों में 9,036 नोडल अधिकारियों की तैनाती शामिल है और आवश्यक संख्या 8,494 से अधिक है। बयान के मुताबिक हरियाणा ने किसानों को फसल अवशेष जलाने के प्रभावी विकल्प उपलब्ध कराने में पर्याप्त प्रगति की है।