Haryana News: इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री के साथ अपने निजी रिश्तों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये दुःखद समाचार मिला।उपराष्ट्रपति ने कहा कि 5 दिन पहले चौधरी साहब से मेरी बात हुई थी। मेरे स्वास्थ्य का पूछ रहे थे, मेरी चिंता ज्यादा कर रहे थे। 35 साल पहले का वो दिन जब बीज के रूप में चौधरी साहब ने ताऊ देवीलाल जी के आशीर्वाद से मुझे समझाया कि प्लीडर का पी हटा दो। मैंने कहा मैं प्डलीर हूँ, कहा पी हटा दो और जो यात्रा शुरू हुई, मेरा हाथ पकड़कर, अर्थबल देकर, दर्शन देकर, 9th लोकसभा में निर्वाचित करवाकर, मंत्री पद देकर, मैं भूल नहीं सकता। जब भी मौका मिला , मुझे आशीर्वाद मिला। राज्यपाल का पद ग्रहण करते ही। मैंने आपका आशीर्वाद लिया, आपके निवास पर जाकर।
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जब राज्यपाल था खबर आई कि आपकी धर्मपत्नी नहीं रही। मेरी धर्मपत्नी ने कहा, मैं बंगाल में था, कि तुरंत पहुँचो। तब सुखबीर जी के पिताजी बादल साहब यहाँ थे। मेरी धर्मपत्नी ने कहा जब अपना एकलौता बेटा गया तो चौधरी ओम प्रकाश जी ने कहा। अर्जुन भी अपने बेटे को नहीं बचा पाए। तुम आगे बढ़ते रहो। पूरा परिवार जयपुर आया और चौधरी देवी लाल जी को तो पता भी नहीं था, मैं कहाँ हूँ तो गाँव के लिए रवाना हो गए। गाँव के नजदीक से आए । 7 बार विधायक 5 बार मुख्यमंत्री रहना, चौधरी साहब को परिभाषित नहीं करता ।
दिवंगत नेता चौटाला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि किसान और गाँव के विकास उनकी प्राथमिकता थी, उनका संकल्प था, उनका ध्येय था, उनका उद्देश्य था। जब देश में बड़ा बदलाव आया 1989 में तो उसके वो सूत्रधार एक थे प्रमुख रूप से। उपराष्ट्रपति धनकड़ ने कहा कि कुछ भी परिस्थिति हो, कुछ भी हालात किसानहित और ग्रामीण विकास को नहीं छोड़ा। शासन और व्यवस्था किसान के प्रति क्रूर होती है पर यह निश्चित कर दिया देश में उन्होंने कि देश का उत्थान, प्रगति शांति विकास किसान के विकास से जुड़ा हुआ है, गाँव के विकास से जुड़ा हुआ है, कोई ऐसा मौका नहीं आया जब उन्होंने मेरी चिंता नहीं की- जब पहली बार राज्यपाल के बाद उनके दर्शन किए आशीर्वाद लिया तो मेरे गले में थोड़ी खराश थी, उसी समय एक विशेष प्रकार के लड्डू बने हुए थेम उन्होंने कहा पैक कर दो, एक यहाँ खाकर जाओ।
नीचे गया तो एक पूरी की पूरी टोकरी मेरी गाड़ी में रखी हुई थी। उपराष्ट्रपति के रूप में पुराने निवास पर आशीर्वाद दिया कि मैंने कहा मैं खुद आऊँगा और नए निवास में भी आए। ऐसा प्रखर वक्ता, ऐसा स्पष्टवाद करने वाला व्यक्ति, ऐसा निर्भीक व्यक्ति, ऐसी रीढ़ वाला व्यक्ति ग्रामीण व्यवस्था के प्रति समर्पित रहा है। मेरी तरफ से इनको सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि इन्होंने जो दार्शनिक रूप अपनाया संकट झेले व्यवस्था की क्रूरता देखी।
वह एक प्रासंगिक है, कि किसान को चुनौती कोई भी दे देता है, सब एकत्र हो जाते हैं। यह संकल्प लेने का समय है कि आप और आप जैसे महानुभाव, चौधरी देवीलाल जी-उन्होंने हमें एक पाठ पढ़ाया है, रास्ता कठिन होगा, लोग बेवजह समस्या पैदा करेंगे। आपके कीर्तिमान को सही रूप से नहीं मानेंगे पर निश्चित लक्ष्य है किसान और ग्रामीण यह दोनों महत्वपूर्ण है। विकसित भारत और किसान का सपना ग्रामीण विकास से निकलेगा। मैं तो यही कह सकता हूँ आजके दिन कि मैं उस मजबूती तक नहीं पहुँच पा रहा हूँ जो मजबूती मैंने आप में देखी है, वह अनुकरणीय है, हमारे लिए मार्ग प्रशस्त करती है। संकट आएंगे कठिनाई आएगी, पर किसान के साथ संवाद, किसान के हित की बात करना, किसान के हित को आगे बढ़ाना, किसान के हित को अपने मन में रखना। किसान का हित मतलब देश का हित- देश का विकास ।
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कल से मेरा मन बहुत विचलित रह रहा है, उम्र हो गई थी पर प्रेरणास्वरूप व्यक्तित्व जब जाता है तो बड़ी रिक्तता आती है। आज के दिन मेरा तो यही संकल्प है कि जो कुछ मैं हूँ उसका निर्णय आपने, जब मैंने औरों को मना कर दिया था आज बता रहा हूँ। दो बड़े महानुभावों से मैंने कह दिया था मैं तो वकालत ही करना चाहूँगा। आपने कहा निर्णय मैंने ले लिया है अब तुम आगे बढ़ो। यही वो बीज आपके समक्ष आज उपस्थित है। मेरी यही संवेदना है। मैं इन्होंने जो संकट झेलकर भी जो किसानों की सेवा की है और जो कर्जा माफी के लिए उस समय लड़ाई लड़ी थी, सोच नहीं सकते तब भी अर्थशास्त्री कहते थे क्यों करो। आप उसके सूत्रधार थे, यही मैं संकल्प लेकर अपनी श्रद्धांजलि आपको दे रहा हूँ।