हाथरस के भोले बाबा की कहानी, लोगों की मौत के पीछे आखिर किसकी साजिश?

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Hathras Update: सत्यपाल सिंह, पुलिसकर्मी से “चमत्कारी” बाबा बनने तक, सामाजिक सरोकार का महत्वपूर्ण योगदान था। ये नौकरी छोड़ने के बाद सत्संग करने लगे। सत्संग में आने वाली महिलाओं की समस्याओं को सुनें। धन की जरूरत बताने पर सत्संग में आने वाले लोगों की मदद करते। इससे लोगों की आस्था और अनुयायी बढ़ी। इनके अनुयायियों में से कुछ मुस्लिम हैं। पड़ोसी जगदीश चंद्र ने बताया कि 25 साल पहले सत्यपाल सिंह केदार नगर आवास पर सत्संग करने लगे। शुरू में, आसपास की महिलाएं आती थीं। घर-घर में पैठ बनाने के लिए चंदा एकत्र कर मदद की गई। दूर-दूर से अनुयायी भी आने लगे।

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पड़ोसी साबिर चौधरी ने बताया कि तीस वर्ष पहले तक ये आम आदमी थे। 2000 से पहले भोले बाबा यहां नहीं आए हैं। दूरदराज से अनुयायी यहां आते हैं। भोर चार बजे से ही लोग जुटने लगते हैं। कुटिया बंद रहती है, लेकिन अनुयायी उसे कभी-कभी साफ करने के लिए खोलते हैं। शाम तक इसी तरह चलता रहता है। क्षेत्रीय निवासी गगन और विक्की ने कहा कि वे कोई चमत्कार नहीं देखा लेकिन हर मंगलवार को भीड़ अधिक होती है।


पड़ोसी साबिर चौधरी कहते हैं कि साले की बेटी स्नेहलता को बाबा ने गोद लिया था। 24 साल पहले उसकी मौत होने पर शव को दो दिन तक इस स्थान पर रखा गया था। भक्तों ने नारा लगाया और बाबा से बेटी को बचाने को कहा। बाद में शव को मल्ल का चबूतरा लेकर गए और जाप करने लगे, मैं भी गया था। हजारों लोग एकत्रित हुए। पुलिस ने इस पर सभी को बाहर निकाला था। नारायण साकार विश्व हरि चैरिटेबल ट्रस्ट का आश्रम अभुआपुरा, जयपुर हाईवे पर स्थित है। यह पिछले वर्ष खरीद लिया गया था। यहां भी प्रतिदिन अनुयायी आश्रम के गेट पर मत्था टेकने आते हैं। 2019 में किरावली के गांव नगला भरंगरपुर विधापुर में 15 दिन तक भोले बाबा का सत्संग हुआ था। बहुत से लोग इसमें सत्संग सुनने आए।

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हाथरस के सिकंदराराऊ में भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, जिनमें से 106 यूपी के 17 जिलों के निवासी थे और छह अन्य देशों के। शेष लोगों की पहचान की कोशिशें जारी हैं। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इन सभी को मुआवजा देगी। हादसे में 38 लोग घायल हो गए, जिनमें से कुछ खतरे से बाहर हैं। CM योगी ने बुधवार को हाथरस के जिला अस्पताल में घायलों का निरीक्षण किया। चश्मदीदों ने घायलों से बातचीत की। CM ने बताया कि हादसे में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ तीन अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया था, जिनकी अभी मौत हो चुकी है। अब तक की शिनाख्त के अनुसार मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक, हरियाणा के पलवल में एक, फरीदाबाद में तीन और राजस्थान के डीग में एक की मौत हुई है।

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