Wayanad Landslide: उत्तरी केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन को इतिहास में दशक की सबसे बड़ी आपदाओं में दर्ज किया जाएगा। इस आपदा में रविवार को मरने वालों की संख्या 350 से ज्यादा हो गई और 200 लोग अभी भी लापता हैं।वायनाड की इस त्रासदी ने सियासी विवाद भी पैदा कर दिया है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 जुलाई को राज्यसभा में दावा किया कि केंद्र ने बाढ़ और भूस्खलन के पहले ही 23 जुलाई से ही केरल सरकार को कई बार चेतावनियां भेजी गई थीं और एनडीआरएफ की नौ टीमों को भी भेजा गया था।
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हालांकि, अमित शाह की मानें तो केरल सरकार ने आपदा से पहले भेजी गई केंद्र की चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया। वहीं केरल सरकार ने केंद्र की ओर से भूस्खलन संबंधी चेतावनी मिलने से इनकार किया है और कुछ मीडिया रिपोर्टों ने गृह मंत्री शाह के दावों पर सवाल उठाया है।कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीयूएसएटी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि मौसम विभाग ने 29 जुलाई को ऑरेंज अलर्ट जारी किया था।
ऑरेंज अलर्ट 24 घंटों में 11.5 से 21 सेंटीमीटर के बीच भारी बारिश की चेतावनी देता है, जबकि उस दिन वायनाड के चूरलमाला क्षेत्र में 37.2 सेंटीमीटर बारिश हुई थी।सीयूएसएटी वैज्ञानिकों के मुताबिक हाल के सालों में कई प्रगति के बावजूद शुरूआती चेतावनी प्रणाली के लिए कुछ घटनाएं अब भी अप्रत्याशित बनी हुई हैं।वैज्ञानिकों ने भारी बारिश की चेतावनी में तकनीकी खामियों की ओर इशारा किया, जिसके कारण वायनाड में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि बादल फटने की चेतावनी जारी करना, जैसे कि वायनाड में हुआ या उसके बाद हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हुआ, बहुत मुश्किल है।हालांकि, संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य है कि 2027 तक पृथ्वी पर हर देश को तेजी से होते मौसम और जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए प्रारंभिक चेतावनी सिस्टम बनाना है, लेकिन इस तरह की घटनाएं सवाल उठाती हैं कि क्या वो लक्ष्य पूरा होना संभव है।