(प्रियांशी श्रीवास्तव): ‘द कश्मीर फाइल्स’ लगातार विवादो में रही है तो वही फिर एक बार कश्मीर फाइल को लेकर काफी चर्चाए हो रही हैं। 53वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी बोर्ड के प्रमुख नादव लापिड की ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर की गई टिप्पणी की अब चारों ओर आलोचना हो रही है। उन्होंने अपने बयान में फिल्म को वल्गर बताया । इस बयान के बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया ।
आपको बता दें कि इजरायली फिल्म निर्माता नादव लापिड की कश्मीर पर प्रतिक्रिया पर मामला गरमाया हुआ भारत के गिलोन ने उनके बयान की कड़ी निंदा भी की और इस बयान के लिे माफी बी मांगी।साथ ही बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने मंगलवार को गोवा पुलिस के पास IFFI ज्यूरी हेड नदाव लपिड के खिलाफ शिकायत की लपिड पर उन्होंने कश्मीर पर किए गए हिंदू समुदाय के त्याग का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया है बता दें कि लपिड ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स को ‘वल्गर और ‘प्रोपेगैंडा बताया है।
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IFFI जूरी हेड की टिप्पणी पर इजराइल के महावाणिज्यदूत कोब्बी शोशानी ने कहा, ‘जब मैंने फिल्म देखी तो मेरी आंखों से आंसू आ गए। यह फिल्म देखना आसान नहीं था। हम यहूदी हैं, जो भयानक चीजों से पीड़ित रहे हैं और मुझे लगता है कि हमें दूसरों की पीड़ा को साझा करना होगा।’ भारत और श्रीलंका में इजराइल के पूर्व राजदूत डेनियल कारमोन ने नादव लापिड की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी संवेदनशीलता के ऐतिहासिक तथ्यों पर अपनी निजी टिप्पणियों के लिए निश्चित रूप से माफी मांगनी चाहिए। वास्तव में यह नहीं जानते कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। वहीं, अशोक पंडित ने कहा, ‘मैं नादव लापिड की कश्मीर फाइल्स के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा पर कड़ी आपत्ति जताता हूं। 3 लाख कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को दिखाना वल्गर नहीं कहा जा सकता। मैं एक फिल्म निर्माता और एक कश्मीरी पंडित के रूप में आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति इस बेशर्म कृत्य की निंदा करता हूं ।
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