हरियाणा में पराली जलाने को लेकर एक्शन मोड में जिला प्रशासन

Jhajjar: District administration in action mode regarding stubble burning in Haryana adjacent to Delhi

Jhajjar: देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के NCR क्षेत्र बहादुरगढ़ की आबोहवा लगातार खराब होती जा रही है। बहादुरगढ़ का AQI  लेवल 252 के पार पहुंच चुका है। झज्जर जिला उपयुक्त शक्ति सिंह ने लोगों से पराली नहीं जलाने की अपील की है। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार भी पराली नहीं जलाने वाले किसानों को 1000 प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। हालांकि इस बार झज्जर जिले में सिर्फ एक किसान ने अपने खेत में धान की पराली जलाई है। जिस पर कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने उसे किस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है।

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इसके साथ ही आपको बता दें कि NGT द्वारा जारी किए गए ग्रुप 2 के नियम भी अब यहां लागू हो चुके हैं। लगातार बढ़ता प्रदूषण लोगों की परेशानी का सबक बना हुआ है। प्रदेश में पराली जलाने के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे। दूसरी तरफ इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन और प्रदेश की टूटी हुई सड़कों से उड़ने वाली धूल लोगों की परेशानी बढ़ा रही है। आम लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। बुजुर्गों और बच्चों की सेहत खराब होने का भी खतरा बना हुआ है। झज्जर जिला प्रशासन मुस्तादी से काम कर रहा है। प्रदूषण फैलाने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है।

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बता दें कि झज्जर जिले के DC कैप्टन शक्ति सिंह ने लोगों से पराली नहीं जलाने की अपील की है। उनका कहना है कि पराली जलाने से जमीन की ओर बढ़ता शक्ति नष्ट होती है और किसानों के मित्र जीव भी आग के कारण नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि  NGT द्वारा लागू किए गए ग्रेप 2 के नियम भी अब लागू हो चुके हैं। ऐसे में फैक्ट्री में डीजल जनरेटर चलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया है वही झज्जर जिले के किसान बेहद जागरूक है। यहां केवल एक किसान ने अब तक अपने खेत में पराली में आग लगाई है। जिस पर जिला प्रशासन ने FIR दर्ज करवा दी है। किसानों की माने तो वे प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली 1000 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि से भी बेहद खुश हैं।

इतना ही नहीं किसानों का कहना है कि उनकी पराली यहां हाथों-हाथ बिक रही है। जिससे किसानों को 3-4 हजार रुपये प्रति एकड़ का मुनाफा हो रहा है। किसानों का कहना है कि उनकी पराली पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल होने के साथ-साथ इंडस्ट्रीज, बिजली उत्पादन और कई अन्य जगहों पर काम आती है। झज्जर जिले के किस पराली नहीं जलाते। इसके बावजूद भी उन्हें प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। झज्जर जिले में पराली जलाने का सिर्फ एक मामला सामने आने से यह तो साफ है कि यहां के किस पराली नहीं जलाते। मगर उद्योगों से होने वाले प्रदूषण के साथ-साथ टूटी हुई सड़कों से उठने वाली धूल पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण स्तर में कमी आ सके।

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