प्रदीप कुमार – उत्तराखंड के जोशीमठ भू धसाव के मामले में केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है।केंद्र सरकार ने जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना को लेकर कमेटी गठित की है।ये कमेटी घटना और इसके प्रभाव की तेजी से स्टडी करेगी। कमेटी में पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्वच्छ गंगा मिशन के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
केंद्र सरकार की ओर से गठित ये कमेटी तेजी से जमीन धंसने की घटना का अध्ययन करेगी और इसकी वजह और प्रभावों का पता लगाएगी।कमेटी तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से कमेटी बनाए जाने की घोषणा करते हुए बताया गया है कि कमेटी बुनियादी ढांचे,इमारतों, हाईवे,बस्तियों और नदी सिस्टम पर भूमि धसाव के प्रभावों का पता लगाएगी।
जोशीमठ यहां अब तक 600 से अधिक घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। आलम यह है कि इनमें से कई घर कभी भी गिर सकते हैं। जोशीमठ पर इस मंडराते खतरे को देखते हुए सरकार ने लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर भेजना शुरू कर दिया है। लोगों को एयरलिफ्ट करने के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध करवाया गया है। वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी आज जोशीमठ का दौरा कर हालात का जायज़ा लिया है।
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जोशीमठ में दरार वाले क्षेत्रों को डेंजर जोन घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने इन क्षेत्रों में बसे सभी लोगों को बाहर निकालने का आदेश जारी किया है। जोशीमठ में दरारें तेजी से बढ़ रही हैं। इसी को देखते हुए उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ और उसके आसपास फिलहाल सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया है।
स्थानीय लोग जोशीमठ में भूमि धसाव के लिए एनटीपीसी प्रोजेक्ट को जिम्मेदार बता रहे हैं क्षेत्र में सुरंग निर्माण के लिए एनटीपीसी की ओर से लंबे समय से काम चल रहा था जिसे फिलहाल रोक दिया गया है।
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