नई दिल्ली: दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान के दूसरे चरण की शुक्रवार को शुरुआत की है। इस मौके पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान का दूसरा चरण 3 दिसंबर तक चलेगा।
दिल्ली के 30 फीसदी प्रदूषण में सबसे ज्यादा वाहनों का प्रदूषण है, जिसे कम करने में यह अभियान काफी सफल साबित हुआ है। दिल्ली में वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए वर्क फ्रॉम होम, बाहर से आने वाले ट्रकों पर रोक जैसे आपातकालीन कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार को चुनावों के डर से कृषि कानून वापस लेने पड़े हैं, जो कि किसानों की पहली जीत है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को आईटीओ चौराहे से रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की।
इस दौरान गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर जो रिसर्च सर्वे आए हैं वो बताते हैं कि दिल्ली के अंदर यहां का 30 फीसदी प्रदूषण है। इसके अलावा 70 फीसदी प्रदूषण बाहर से आ रहा है। ऐसे में जो दिल्ली का 30 फ़ीसदी प्रदूषण है, उसमें सबसे प्रमुख प्रदूषण वाहनों का है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से दिल्ली में रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान चल रहा था। जिसका आज से 15 दिन के लिए उसका दूसरे चरण शुरू किया गया है, जो कि 3 दिसंबर तक चलेगा।
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रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान का मकसद लोगों में जागरूकता लाकर वाहन प्रदूषण को कम करना है। दिल्ली में एक व्यक्ति जब सुबह से शाम तक निकलता है तो लगभग 10 से 12 चौराहों को पार करता है।
अगर एक चौराहे पर 2 मिनट भी रुकता है तो 20 से 25 मिनट तक बेवजह ईंधन जलता है। उससे दिल्ली के प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है।
इसको देखते हुए आज से इस अभियान के दूसरे चरण को शुरू किया जा रहा है। जिससे कि वाहन प्रदूषण को कम किया जा सके। दिल्ली के अंदर के प्रदूषण को कम करने में यह अभियान काफी सफल साबित हुआ है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने बताया कि केजरीवाल सरकार की तरफ से तमाम आपातकालीन कदम उठाए गए हैं। वर्क फ्रॉम होम का कदम उठाया गया है, जिससे की वाहन प्रदूषण कम हो सके। दिल्ली में बाहर से आने वाले ट्रकों पर रोक लगाई गई है। जिससे वाहन प्रदूषण कम हो सके।
वहीं, कृषि कानूनों को लेकर गोपाल राय ने कहा कि यह किसान आंदोलन की बड़ी जीत है। ऐसी अहंकारी सरकार जिसने 700 किसानों को सड़क पर गर्मी, सर्दी, बरसात में कुर्बान होने के लिए लावारिस छोड़ दिया था। केंद्र सरकार किसी की बात को सुनने के लिए तैयार नहीं थी।
आज चुनाव के डर से ही सही लेकिन कृषि कानून वापस लेने पड़े हैं, जो कि किसानों की पहली जीत है। केंद्र सरकार को अगले संसद सत्र में ना सिर्फ कानून वापस लेने की जरूरत है, बल्कि किसानों की बेहतरी के लिए एमएससी पर कानून बनाने की जरुरत है।
इस किसान आंदोलन की यह दूसरी मांग है। जिससे कि इस देश के किसान भी मान सम्मान के साथ जी सके और खुशहाली के साथ जिंदगी को आगे बढ़ा सकें।
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