जाने कौन हैं बानु मुश्ताक, जिन्होंने बुकर प्राइज जीतकर भारत का नाम किया रौशन

Banu Mushtaq: कन्नड़ लघु कथा संग्रह के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने पर लेखिका बानू मुश्ताक के लिए बधाई संदेशों का तांता लग गया है। कई लोगों ने इसे सभी कन्नड़भाषियों के लिए गौरव का क्षण बताया और कहा है कि उनके काम ने भाषा और उसके साहित्य की जीवंतता को विश्व स्तर पर फैलाया है।

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पीटीआई से बात करते हुए, 2022 में बुकर पुरस्कार जीतने वाली गीतांजलि श्री ने कहा, ये अद्भुत है कि दूसरी भाषा को ये मिला है। ये सिर्फ़ बानू मुश्ताक के लिए नहीं है, बल्कि दीपा भास्ती के लिए भी है और मुझे लगता है कि ये वाकई बहुत बढ़िया है। उन्हें और हमें भी बहुत-बहुत बधाई, क्योंकि हम उस बड़े समुदाय का हिस्सा हैं।”

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लेखक चेतन भगत ने भी इस उपलब्धि पर अपनी खुशी साझा की। उन्होंने कहा, ये सिर्फ़ बानू मुश्ताक के लिए ही नहीं बल्कि सभी कन्नड़ लेखकों और भारतीय लेखकों के लिए बहुत अच्छी खबर है, जिसमें किसी भी भाषा में लिखने वाले, ख़ास तौर पर क्षेत्रीय भाषा के लेखक शामिल हैं।”पद्मश्री पुरस्कार विजेता विद्या बिंदु सिंह ने पीटीआई से कहा, “मैं बहुत खुश हूं। हमारी बहन बानू मुश्ताक को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिलने पर बहुत-बहुत बधाई। उन्होंने अपने काम के ज़रिए महिलाओं के दर्द को उजागर किया है।

इससे पता चलता है कि हर महिला एक मां है और मां सभी का दर्द समझती है।लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से वकील मुश्ताक का लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप’ (हार्ट लैंप) मंगलवार रात लंदन में प्रतिष्ठित 50,000 पाउंड का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला कन्नड़ लघु कथा संग्रह बन गया।

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