Maharashtra Politics : विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में सियासी भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है.महाराष्ट्र में चुनाव होने के लिए महज एक महीना ही बचा है.सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई थी. इस मुद्दें को लेकर पार्टी में काफी राजनितिक धमासान (Maharashtra Politics) हुआ.और विपक्ष लगातार राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर निशाना साधती नजर आ रही है. वही दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की इस्तीफे की मांग कर रही है.
बता दें कि इस प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी ने 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस के अवसर पर किया था. वहीं, प्रतिमा के गिरने के बाद सीएम शिंदे और पीएम मोदी ने प्रदेशवासियों से माफी मांगी. बावजूद इसके विपक्षी लगातार सीएम की इस्तीफे की मांग कर रहे हैं और इसे लेकर रविवार को प्रदेश में महाविकास अघाड़ी ने जूते मारो प्रदर्शन भी किया.
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महाविकास अघाड़ी ने जूते मारो प्रदर्शन को लेकर शिवसेना के नेता संजय निरूपम ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया के एक्स पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि “महाराष्ट्र के पूर्व सीएम की करतूत देखिए संविधान की शपथ लेकर सीएम और उप -सीएम के प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत नेताओं की तस्वीरों पर जूते मार रहे है.यह सुसंस्कृत महाराष्ट्र की परंपरा नहीं हैं. ये हरकते महाराष्ट्र की परंपराओं का उलंघन करना है आगे लिखा कि विरोधी पक्ष को विरोध प्रदर्शित करने का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है पर निकृष्ट हरकत करने का नहीं. कांग्रेस भी कितनी असभ्य हो गई है,तस्वीर में दिख रहा है. क्या यही है उनकी मुहब्बत की दुकान ? इस नीचता के लिए महाराष्ट्र का सभ्य समाज इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा”
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जिस दिन स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई थी उस दिन संजय निरूपम ने सोशल मीडिया के एक्स पर ‘शिवसेना यूबीटी’ पर तंज कसते हुए लिखा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ज़मीयत उल्मा के नेताओं ने उद्धव ठाकरे से मिलकर यह माँग की है कि आगामी विधानसभा चुनावों में उबाठा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे.मैं इस माँग का समर्थन करता हूँ. उबाठा के उम्मीदवारों की सूची में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा मुस्लिम उम्मीदवार होने ही चाहिए.क्योंकि लोकसभा चुनावों में अगर मुस्लिम वोट नहीं देते तो उबाठा का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाता.विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही होनेवाला है. उबाठा ने हिंदुत्व को तिलांजलि दे दी है और मराठी भाषिक मतदाता उनसे दूर जा चुके हैं।