Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि आज के संघर्षग्रस्त विश्व को हिंदू धर्म की आवश्यकता है, क्योंकि यह एक सार्वभौमिक धर्म है, जो विविधता को स्वीकार करने की शिक्षा देता है।भागवत ने यहां धर्म जागरण न्यास के नये भवन के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ‘‘आज सम्पूर्ण विश्व को इसी ‘धर्म’ की आवश्यकता है। विश्व अपनी विविधताओं को स्वीकार करते हुए जीना नहीं जानता, इसीलिए इतने संघर्ष हो रहे हैं।’Mohan Bhagwat
उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए ‘धर्म’ एक परम सत्य है। उन्होंने कहा, ‘‘यह धर्म एकता और सभी विविधताओं को स्वीकार करना सिखाता है। हम सभी विविधताओं को स्वीकार करते हैं। हम इसलिए अलग नहीं हैं, क्योंकि हम विविध हैं, यह धर्म यही हमें सिखाता है।Mohan Bhagwat
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आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह एक सार्वभौमिक धर्म है, लेकिन चूंकि हिंदुओं ने इसे सबसे पहले खोजा था, इसलिए इसे हिंदू धर्म कहा जाने लगा। उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा, हिंदू धर्म प्रकृति का धर्म है, एक सार्वभौमिक पंथ है, मानवता का धर्म है। प्रत्येक हृदय को इस धर्म से जागृत होना चाहिए।’’भागवत ने कहा कि धर्म का कर्तव्य केवल ईश्वर के प्रति ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति भी होता है। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास बताता है कि ‘‘धर्म’’ के लिए अनेक बलिदान दिए गए। उन्होंने कहा, ‘‘धर्म के लिए ढेरों सिर काटे गए, लेकिन किसी ने धर्म नहीं छोड़ा। आप सभी ने ‘छावा’ फिल्म देखी होगी। यह सब (बलिदान) हमारे लोगों ने किया। वे हमारे लिए एक मिसाल हैं।’’Mohan Bhagwat
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हिंदी फिल्म ‘‘छावा’’ मराठा राजा छत्रपति संभाजी के जीवन पर आधारित है, जिन्हें 1689 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने कड़ी यातनाएं दीं और अंत में उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। भागवत ने कहा कि इस तरह के बलिदान आम लोगों द्वारा भी किए गए थे, क्योंकि उनका मानना था कि हमारा धर्म सत्य पर आधारित है और दुनिया का अंतिम सत्य यह है कि भले ही हम सामान्य जीवन में अलग-अलग दिखते हों, लेकिन हम सभी एक हैं।उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म यह भी सिखाता है कि विभिन्न धर्मों के मार्ग एक ही मंजिल तक ले जाते हैं, इसलिए किसी को भी दूसरों के तौर-तरीकों को जबरन बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।Mohan Bhagwat