अहीर वाल रेजिमेंट की मांग को लेकर सांसद डाक्टर अरविंद शर्मा ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और कहा कि देश की आजादी में अहीर वाल क्षेत्र का अहम योगदान रहा है और काफी वर्षो से अहीर वाल क्षेत्र के लोगों की रेजिमंेट की मांग रही है। सांसद ने बताया कि 1857 की क्रांति, प्रथम विश्व युद्व, द्वितीय विश्व युद्व और आजाद हिंद फौज से लेकर 1947 की लड़ाई में अहीर वाल क्षेत्र के लड़ाकों की आग्रणीय भूमिका रही है। इससे पहले भी सांसद ने जोर-शोर से लोकसभा में भी रेजिमेंट के गठन की मांग पर रखी थी रक्षा मंत्री के समक्ष सांसद ने अहीर वाल क्षेत्र के शहीद जवानों के बारे में आंकडे़ बताए और उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान सांसद ने बताया कि अहीर सैनिकों द्वारा आजादी से पहले व बाद में अनेकों वीर पदक हासिल किये है, जोकि इस अहीर वाल क्षेत्र का स्वर्णिक इतिहास रहा है। सांसद ने कहा कि क्षेत्र का एक भी एक गांव नहीं है जिसका बेटा पैरा मिल्ट्ी फोर्स, आर्मी व सेना के जरिए किसी ने किसी रुप में देश की न सेवा कर रहा हो, यह हमारे लिए बडे़ गर्व की बात है।
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वीरवार को सांसद डाक्टर अरविंद शर्मा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से अहीर वाल रेजिमेंट की मांग को लेकर मुलाकात की। सांसद ने रक्षा मंत्री के समक्ष अपनी बात रखते हुए बताया कि 1857 की क्रांति से लेकर मुम्बई हमले तक में अहीर जवानों की इतिहास रहा है। सांसद ने बताया कि 1857 की क्रांति के दौरान राव किशन सिंह के नेतृत्व में पांच हजार युद्ववीरों ने शहादत दी थी, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है। सांसद ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि काफी वर्षो से अहीर वाल क्षेत्र के लोगों की रेजिमेंट गठन की मांग रही है, लेकिन क्या कारण रहा है, जिसे पूरा नहीं किया गया। इससे पहले भी रेजिमेंट की मांग को लेकर सांसद ने लोकसभा में अपनी बात रखी थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सांसद को आश्वासन दिया है कि अहीर वाल रेजिमेंट के गठन की मांग पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
कोसली गढ़ के 247 सैनिकों ने प्रथम विश्व में दिखाया था दम
सांसद डाक्टर अरविंद शर्मा ने बताया कि प्रथम विश्व युद्व के दौरान अहीर वाल क्षेत्र के गांव कोसली गढ़ के 247 सैनिकों ने अपना दम दिया था और कई सैनिक शहीद भी हुए थे। एक ही गांव के इतने सैनिकों का प्रथम विश्व में भाग लेना देश के इतिहास में एक कीर्तिमान है। प्रथम विश्व युद्व में अहीर सैनिकों ने पूर्वी आफ्रीका मेसोपोटामिया, काला सागर आदि के मोर्चा पर पूरे विश्व में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है। इसी तरह द्वितीय विश्व युद्व में भी अहीर सैनिकों का इतिहास स्वर्णिक रहा है और युद्व में 38150 सैनिकों का योगदान रहा है।
सौ से अधिक वीरता पदक अहीर सैनिकों के नाम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष सांसद अरविंद शर्मा ने बताया कि आजादी से पहले व बाद में अहीर वाल क्षेत्र सैनिकों ने सौ से अधिक वीरता पदक हासिल किए है, जोकि एक इतिहास है। सांसद ने बताया कि 1947 से पहले अहीर लड़ाकों को विक्टोरिया क्रॉस-1, जॉर्ज क्रॉस-2, मिलिट्ी क्रॉस-3, आईओएम-3, आईडीएसएम- 7 पदक सैनिकों के नाम रहे है। इसके अलावा 1947 में आजादी के बाद अहीर सैनिकों को वीरता पदक मिले, जिनमें परमवीर चक्र-1, अशोक चक्र-4, महाबीर चक्र-4, कीर्ति चक्र-7, शोर्य चक्र-32 व वीर चक्र-30 शामिल है।
इन युद्वों में रही है अहीर लड़ाकों की अहम भूमिका
सांसद अरविंद शर्मा ने बताया कि 1857 से लेकर आजादी के बाद तक अहीर वाल क्षेत्र के सैनिकों का अहम योगदान रहा है, जिसमें प्रथम विश्व युद्व, पूर्वी आफ्रीका मेसोपोटामिया, काला सागर, द्वितीय विश्व युद्व, बर्मा , कलादान, कोहिमा, सिंगापुर शामिल है। इसके अलावा 1948 का बड़गाम, 1961 गोवा लिबरेशन, 1962 रेंजॉगला, 1965 हाजीपीर, 1976 नाथूला, 1971 जैसलमेर, 1984 ऑप्रेशन मेघदूत सियाचिन का मोर्चा, 1987 श्रीलंका, 1999 टाईगर हिल कारगिल, 2001 संसद हमला, अक्षर धाम हमला व मुंबई हमले में भी अहीर जवानों की भूमिका आग्रणीय रही है।
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