MP Satna News : मध्य प्रदेश में 6 बच्चों के HIV संक्रमित पाए जाने के बाद राज्य स्तरीय जांच दल गठित

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MP Satna News : मध्यप्रदेश के सतना स्थित जिला अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों और उनमें से एक के माता-पिता के एचआईवी संक्रमित पाए जाने के बाद प्रदेश सरकार ने मंगलवार को छह सदस्यीय जांच दल गठित किया।लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त तरुण राठी ने एक आदेश जारी कर इस जांच दल की घोषणा की और सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है।MP Satna News MP Satna News MP Satna News

इस जांच दल में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के रीवा संभाग की क्षेत्रीय संचालक डॉक्टर सत्या अवधिया, राज्य रक्त संचरण परिषद (एसबीटीसी) की उपसंचालक रूबी खान, भोपाल स्थित एम्स के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विशेषज्ञ रोमेश जैन, भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र की सीमा नवेद, होशंगाबाद के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के वरिष्ठ औषधीय निरीक्षक संजीव जादौन और भोपाल में इसी विभाग की औषधि निरीक्षक प्रियंका चौबे को शामिल किया गया है।

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आदेश में इस समिति से सात दिनों में जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।उल्लेखनीय है कि सतना के सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला चिकित्सालय में दूषित रक्त चढ़ाए जाने से छह बच्चे इस लाइलाज बीमारी के शिकार हो गए हैं। इनमें से एक के माता-पिता भी इसकी चपेट में आ गए हैं।सतना के कलेक्टर और मजिस्ट्रेट सतीश कुमार एस. ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह सारे मामले इस साल जनवरी से मई के बीच सामने आए हैं और सभी पीड़ितों का एचआईवी प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है।MP Satna News

उन्होंने कहा, ‘‘थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों में नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जा रहा था। इनमें से नियमित जांच के दौरान छह बच्चे एचआईवी से संक्रमित पाए गए हैं। कुमार ने कहा कि इनमें से एक बच्चे के माता-पिता भी एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। लेकिन जो बाकी पांच बच्चे हैं, उनके माता-पिता संक्रमित नहीं हैं। एचआई‍वी से संक्रमित सभी लोगों का प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है और सभी की हालत ठीक है।MP Satna News MP Satna News

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इससे पहले, मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और रिपोर्ट मांगी है।उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच की जा रही है कि यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन सरकारी अस्पताल के अलावा किसी अन्य अस्पताल में तो नहीं हुआ था।पीड़ित बच्चों की उम्र 12 से 15 वर्ष के बीच है और इन्हें अस्पताल के ब्लड बैंक से खून चढ़ाया जाता था। थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एक नियमित अंतराल पर खून चढ़ाए जाने की जरूरत पड़ती है।

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