शारदीय नवरात्रि में महानवमी व्रत का विशेष महत्व है, महानवमी के दिन मां दुर्गा के मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-की जाती है। नवरात्रि की महानवमी के दिन व्रत रखकर मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा की जाती है।
इसी दिन देवी दुर्गा ने असुरों के राजा महिषासुर का वध करके देवी देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी, उन्हें महिषासुर के संहारक के रूप में भी जाना जाता है।
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नवरात्रि के सभी दिनों में नवमी के दिनों को सबसे उत्तम माना गया है। माना जाता है कि महानवमी को की जाने वाली पूजा, नवरात्रि के अन्य सभी 8 दिनों में की जाने वाली पूजा के बराबर पुण्य फलदायी होती है।
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहनें, उसके बाद कलश स्थापना के स्थान पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें गुलाबी फूल चढ़ाए।
उसके बाद धूप, दीप, अगरवत्ती जलाकर उनकी पूजा करें, अब मां सिद्धिदात्री के बीज मंत्रों का जाप करें, उसके बाद आरती कर पूजा समाप्त करें।
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