प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कार्यभार संभालने के बाद सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है। रक्षा मंत्री और थल सेनाध्यक्ष के बीच उत्तरी और पश्चिमी मोर्चे की चुनौतियों के बारे में चर्चा हुई है।
जनरल मनोज पांडे ने सेनाध्यक्ष का चार्ज संभालते ही भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध पर ध्यान केन्द्रित किया है। सेनाप्रमुख ने कहा है कि दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया जारी है।
सूचना और साइबर युद्ध का बढ़ा महत्व
नए सेना प्रमुख के मुताबिक ने रूस–यूक्रेन के युद्ध ने सूचना और साइबर युद्ध के महत्व को सामने ला दिया है। हमें भविष्य के संघर्ष के लिए अपनी क्षमताओं का निर्माण करके खुद को तैयार करने की जरूरत है। पारंपरिक युद्धों से लड़ने के लिए ‘स्वदेशी हथियारों‘ की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए सेना प्रमुख ने कहा है कि पिछले दो वर्षों में भारतीय सेना ने लगातार खतरे का आकलन करके सशस्त्र बलों को फिर से संगठित और पुनर्गठित किया है। भारतीय सेना को पारंपरिक युद्ध लड़ने के लिए अपनी क्षमता विकास पर ध्यान देना जारी रखना चाहिए।
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नए सेना प्रमुख ने कहा है कि भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया जारी है। हमारा मानना है कि यह आगे का रास्ता है। हमें विश्वास है कि दूसरे पक्ष से बात जारी रखकर ही आगे का रास्ता मिलेगा और हम चल रहे मुद्दों का समाधान खोज लेंगे।
एलएसी पर तनाव कम करना सेना का उद्देश्य
सेना प्रमुख के मुताबिक सेना का उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करना और यथाशीघ्र यथास्थिति बहाल करना है। सेना प्रमुख जनरल पांडे ने कहा कि भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि वह एलएसी पर यथास्थिति में किसी भी बदलाव की अनुमति नहीं देगा।
पाकिस्तान के मोर्चे पर नियंत्रण रेखा (एलओसी) की स्थिति के बारे में सेना प्रमुख ने कहा कि सीमा के दोनों ओर आम नागरिकों की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन इसके विपरीत सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में वृद्धि हुई है। नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ और हिंसा का स्तर कम हो गया है, लेकिन भीतरी इलाकों में उस प्रभाव का कोई संकेत नहीं है।
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