Union Budget 2024: नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में पहला बजट (Budget) 23 जुलाई को पेश होगा। बजट में सरकार का खेती, किसान, तकनीकी, चिकित्सा और धार्मिक क्षेत्र में फोकश रहेगा।डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर और चीफ ग्रोथ ऑफिसर देवाशीष मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024 में सेक्टोरल फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर होगा, लेकिन इस बार एग्रीकल्चर सेक्टर पर भी काफी फोकस रहेगा।
बजट से कई उम्मीदें- निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करने वाली है। इस बजट को लेकर कई उम्मीदें है। आम जनता उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उन्हें इनकम टैक्स से संबंधित कुछ राहत दे सकती है। बजट के बारे में जानकारी देते हुए डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर देवाशीष मिश्रा ने कहा ये बजट अगले पांच सालों के लिए एजेंडा तय करेगा। मुझे लगता है कि ये ट्रेजेक्टरी जारी रहेगी। लेकिन यहां नौकरी की संभावनाओं में सुधार और खपत में सुधार पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा।”
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बुनियादी ढांचे पर रहेगा पर बजट में फोकश- देवाशीष मिश्रा ने कहा उम्मीद है कि बुनियादी ढांचे के लिए कैपेक्स को संशोधित कर कम किया जाएगा। दूसरी छमाही में हम उम्मीद कर रहे हैं कि प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर भी रफ्तार पकड़ लेगा। बैंकों के पास अच्छा संतुलन है। कॉर्पोरेट बैलेंस शीट ज्यादा उधार लेने में सक्षम हैं और अर्थव्यवस्था का हर सेक्टर निवेश के संकेत दे रहा है।”
एग्रीकल्चर सेक्टर में हो सकता है बड़ा ऐलान- बजट में बुनियादी ढांचे और लेकिन एग्रीकल्चर सेक्टर पर भी बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और विशेष रूप से कृषि अनुसंधान और कृषि बुनियादी ढांचे पर। आपने महंगाई के आंकड़ों को देखा है, विश्व स्तर पर हर जगह खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ रही है और इसमें कमी नहीं आ रही है। मौद्रिक नीतियां खाद्य मुद्रास्फीति की समस्या और इसके लंबे समय तक प्रभाव पर गौर करने में सक्षम नहीं हैं। कृषि में मदद के लिए हमें क्रॉप वैरायटी, सिंचाई के बुनियादी ढांचे और ड्रोन से संबंधित दखल की आवश्यकता है।”
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भारत की जीडीपी 7-7.2 बने रहने का अनुमान- देवाशीष मिश्रा आगे बोलते है कि “हम वास्तव में अगले साल में 4.5 फीसदी हासिल करने के लिए आधार तैयार कर रहे हैं। इसलिए राजकोषीय आंकड़े वास्तव में अच्छे दिख रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि राजकोषीय घाटा 4.9 से पांच फीसदी के आसपास रहेगा, निश्चित रूप से 5.1 लक्ष्य है। वर्तमान में हम भारत की जीडीपी 7-7.2 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद कर रहे हैं और अगर आप पिछले तीन सालों में इसे देखें तो औसत आठ फीसदी से ज्यादा है।”