NITI Aayog Report : नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा है कि ‘पीएलएफएस (आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण) आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात साल में कामगार-जनसंख्या अनुपात साफ तौर पर बढ़ रहा है।उन्होंने कहा कि इसका मतलब नौकरियों की संख्या जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले ज्यादा बढ़ रही हैं। इसमें उतार-चढ़ाव भी है, लेकिन जो रुख है, वो बताता है कि नौकरियां बढ़ रही है।पीएलएफएस की सालाना रिपोर्ट 2023-24 (जुलाई-जून) के अनुसार, कामगार-जनसंख्या अनुपात सभी उम्र के व्यक्तियों के मामले में 2023-24 में बढ़कर 43.7 प्रतिशत हो गया, जो 2017-18 में 34.7 प्रतिशत था. NITI Aayog Report
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विरमानी ने कहा कि अगर पीएलएफएस में वेतन के आंकड़ों को देखें, तो कैजुअल वर्कर का वास्तविक वेतन सात साल के दौरान बढ़ा है और इस दौरान उनकी स्थिति सुधरी है।उन्होंने कहा कि एक बड़ा मुद्दा नियमित वेतन वाली नौकरियां के मामले में है। इस श्रेणी में सात साल में वास्तविक पारिश्रमिक मुद्रास्फीति के हिसाब से नहीं बढ़ा है।विरमानी के कहा कि उनके आकलन के हिसाब से पारिश्रमिक नहीं बढ़ने का मुख्य कारण है कौशल की कमी है। हम कौशल वाली नौकरियां नहीं ले रहे हैं। कई देशों के आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि कौशल पर काम करना होगा। ये काफी कमजोर स्थिति में है।उन्होंने कहा कि इस दिशा में केंद्र सरकार कदम उठा रही है। राज्यों को भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है, जिला स्तर पर काम करने की जरूरत है, क्योंकि नौकरियों का सृजन वहीं होगा। विरमानी के अनुसार, प्रमुख समस्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल की कमी है। हर स्तर, निचले, मध्यम और उच्चस्तर पर कौशल में सुधार करने की जरूरत है। हर तरह की नौकरियों के लिए कौशल की जरूरत है।
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नीति आयोग के सदस्य के अनुसार, ये इसलिए महत्वपूर्ण है कि कौशल जब बढ़ता है, तभी उत्पादकता बढ़ती है और वास्तविक वेतन बढ़ता है। ऐसा पूरी दुनिया में होता है।ये सोचना गलत है कि हम जो काम कर रहे हैं, वही करते रहें और वेतन बढ़ेगा। इसलिए कौशल विकास बेहद जरूरी है। और जो कामकाजी हैं, सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि नये लोगों में भी कौशल विकास की जरूरत है।विरमानी के विश्लेषण के मुताबिक शिक्षा के हर स्तर पर कौशल विकास की जरूरत है। कई बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, उनके लिए उसी हिसाब से कौशल विकसित करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि सभी को एआई या इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर बनने के लिए ही कौशल की जरूरत है।उन्होंने कहा कि उन बच्चों के बारे में भी सोचना है जो बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं।विरमानी ने कहा कि थोड़ी ‘इमेज’ की भी समस्या है। ऐसी नौकरियां हैं, जहां कोई आवेदन नहीं करता। मसलन, मशीनिस्ट (मशीन चलाने वाला) अच्छा काम है, वेतन भी अच्छा है। लेकिन उसमें कोई नहीं आ रहा। इसी तरह के कई और काम हैं, जहां लोग नहीं आ रहे।