लोकसभा अध्यक्ष Om Birla ने कहा है कि हिंदी भारत की आत्मा और पहचान है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं, विशेषकर हिंदी ने समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे कहा कि हिंदी ने देश की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोया है और उसे सशक्त बनाया है। उन्होंने हर्ष व्यक्त किया कि हिंदी आज न केवल संचार की एक आम भाषा है, बल्कि उसने बदलते तकनीकी परिदृश्य के अनुसार अपने आपको ढाला है। उन्होंने कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग से हिंदी साहित्य और कविता की समृद्ध विरासत दुनिया भर में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि न्याय, प्रशासन और इंटरनेट प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हिंदी का तेजी से उपयोग हो रहा है।
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बता दें कि Om Birla ने रविवार को उत्तर प्रदेश के इटावा में ‘इटावा हिंदी सेवा निधि’ द्वारा आयोजित वार्षिक अधिवेशन एवं हिंदी सेवी सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान ये बात कही। साथ ही बिरला ने कहा कि जब हम दुनिया भर की शासन प्रणालियों और लोकतांत्रिक संस्थाओं को देखते हैं, तो भारत की विविधता के समन्वय और इसकी एकता को सुनिश्चित करने में हिंदी का महत्व स्पष्ट हो जाता है। बिरला ने यह भी उल्लेख किया कि भारत के संविधान की तैयारी के दौरान, विभिन्न राज्यों के दूरदर्शी नेताओं ने, विभिन्न भाषाओं और बोलियों को बोलते हुए, एकता के प्रतीक के रूप में भाषाओं के महत्व को पहचाना। उन्होंने पूरे देश को एकजुट करने की हिंदी की अंतर्निहित क्षमता को स्वीकार किया।
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इसके साथ ही आपको बता दें कि संसद में अपने अनुभव साझा करते हुए, Om Birla ने कहा कि भारत में 22 भाषाएँ हैं, जिससे सदस्यों के लिए अपनी-अपनी भाषाओं में बोलना स्वाभाविक है। AI जैसी आधुनिक तकनीक के साथ, संसद अनुवाद, व्याख्या और प्रतिलेखन जैसी सुविधाओं का उपयोग करने की व्यवहार्यता का पता लगा रही है। उन्होंने भारतीय भाषाओं में चर्चा को बढ़ावा देने, सदस्यों में अपनी भाषाओं के प्रति गौरव और स्वाभिमान को बढ़ावा देने के अपने निरंतर प्रयास का उल्लेख किया है।
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ओम बिरला ने कहा है अब समय बदल गया है। पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले केवल एक भाषा में लिखे जाते थे। अब SC ने फैसलों का कई भाषाओं में अनुवाद करना शुरू कर दिया है। संसद में हम 22 भारतीय भाषाओं का उपयोग कर रहे हैं, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध भाषाएं हैं। हम उन सदस्यों के लिए अनुवाद की सुविधा भी दे रहे हैं जो अपनी भाषा में बोलना चाहते हैं। साथ ही ओम बिरला ने भारतीय भाषाओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गर्व करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विदेश यात्राओं के दौरान अपने अनुभव भी साझा किए, जहां लोगों ने हिंदी सीखने और समझने में काफी रुचि दिखाई।
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