संविधान दिवस’ के अवसर पर संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई

Samvidhan Diwas':

Samvidhan Diwas’: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि सभी सदस्यों को संसद के सदनों में सार्थक और सकारात्मक संवाद की उत्कृष्ट परंपरा को अपनाना चाहिए। संविधान सभा की गौरवशाली परम्पराओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान सभा में अलग अलग विचारधारा वाले सदस्य थे। इसके बावजूद उन्होंने एक-एक अनुच्छेद पर विचार मंथन किया और अपनी सहमति और असहमति को पूरी गरिमा और मर्यादा के साथ व्यक्त किया।संविधान सदन में आयोजित 10वें संविधान दिवस के अवसर पर स्वागत भाषण देते हुए ओम बिरला ने सभी सदस्यों से विधानमंडलों में सार्थक और गरिमापूर्ण संवाद की उच्चतम परम्पराओं को अपनाने का आग्रह किया ।

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू; भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, जगदीप धनखड़; प्रधान मंत्री,  नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों और संसद सदस्यों ने भी 1949 में संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह की शोभा बढ़ाई । इस वर्ष के संविधान दिवस का विषय था “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान।”ओम बिरला ने संविधान निर्माण में बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि इससे हमें अपने समाज के बारे में संविधान सभा के सदस्यों के विचारों को समझने में मदद मिलती है ।ओम बिरला ने कहा कि संविधान पिछले 75 सालों से देश में सामाजिक-आर्थिक बदलावों का सूत्रधार रहा है और कर्तव्य काल में भारत सामूहिक प्रयासों और दृढ़ संकल्प के साथ विकसित भारत की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। ओम बिरला ने संसद सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में संविधान के अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ को जनता की सहभागिता से एक उत्सव के रूप में मनाएँ जिससे “राष्ट्र प्रथम” की भावना और अधिक सुदृढ़ हो।इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि संविधान न केवल विधि के क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन करता है, बल्कि एक वृहत सामाजिक दस्तावेज भी है, बिरला ने कहा कि संविधान ने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को आपसी समन्वय के साथ सुचारु रूप से कार्य करने की व्यवस्था दी है ।  उन्होंने यह भी कहा कि इन 75 वर्षों में इन तीनों अंगों ने श्रेष्ठता से कार्य करते हुए देश के समग्र विकास में अपनी भूमिका निभाई है ।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि संविधान की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अनुकूलनशीलता है, ओम बिरला ने कहा कि इन 75 वर्षों के दौरान संविधान में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं जो लोगों की बदलती आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को दर्शाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन 75 वर्षों में संविधान के मार्गदर्शन में संसद आम लोगों के जीवन में सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाई है, जिससे लोगों का लोकतंत्र में विश्वास मजबूत हुआ है।ओम बिरला ने कहा कि नए संसद भवन के निर्माण से देश की समृद्धि और क्षमता में एक नई गति और शक्ति का संचार हुआ है।ओम बिरला ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि माननीय राष्ट्रपति की अगुवाई में पूरा देश एक साथ मिलकर पवित्र संविधान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है।ओम बिरला ने कहा कि लाखों भारतीयों द्वारा संविधान की प्रस्तावना का पाठ पढ़ा जाना और राष्ट्र को आगे ले जाने का संकल्प लेना इस  पवित्र दस्तावेज के प्रति सच्ची श्रद्धा है। इस अवसर पर, भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के नेतृत्व में भारत के संविधान की प्रस्तावना का पाठ पढ़ा गया ।
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने के ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि यह कदम वर्तमान पीढ़ी, विशेषकर युवाओं को संविधान में निहित मूल्यों, आदर्शों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से जोड़ने के लिए उठाया गया था। विश्व में भारत की भूमिका और इसके महत्व के बारे में बात करते हुए, बिरला ने कहा कि संविधान हमें “वसुधैव कुटुम्बकम” यानि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है, के सिद्धांत का अनुसरण करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने यह भी कहा कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता से विश्व पटल पर भारत की छवि मजबूत हुई है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया  कि सभी देशवासियों को संविधान के मूल्यों को बनाए रखने और भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देने का सामूहिक संकल्प लेना चाहिए।
भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया गया। विशिष्टजनों ने “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक से प्रकाशित दो पुस्तकों का विमोचन किया । इन प्रकाशनों के अलावा, भारत के संविधान की कला को समर्पित एक पुस्तिका भी जारी की गई। संस्कृत और मैथिली में भारत के संविधान के दो नए संस्करण भी जारी किए गए।भारत के संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित एक लघु फिल्म भी विशिष्ट सभा को दिखाई गई ।

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