देश की राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में बढ़ा ओजोन का स्तर, CSE की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा !

देश की राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में ओजोन का स्तर बढ़ गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, ओजोन की अधिक मात्रा फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है और सांस की समस्याओं को बढ़ा सकती है। इसका खतरा अब जानलेवा बनता जा रहा है।

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क्या कहती है CSE की रिपोर्ट ?

इस साल देश की राजधानी में रहने वाले लोगों ने प्रचंड गर्मी का एहसास किया है। इस अप्रत्याशित बदले हुए मौसम के पैटर्न का सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने गहन अध्ययन किया। इस नए अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है जिसको लेकर कहा गया है कि 2024 की गर्मियों में भारत के 10 प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में ओजोन का स्तर बढ़ गया है।

ओजोन का स्तर बढ़ जाने से देश की राजधानी दिल्ली बुरी तरह से प्रभावित पाई गई। जिन शहरों में यह अध्ययन किया गया है उनमें बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन एरिया (कर्नाटक), चेन्नई मेट्रोपॉलिटन एरिया (तमिलनाडु), दिल्ली-एनसीआर, ग्रेटर अहमदाबाद (गुजरात), ग्रेटर हैदराबाद (तेलंगाना), ग्रेटर जयपुर (राजस्थान), कोलकाता मेट्रोपॉलिटन एरिया (पश्चिम बंगाल), ग्रेटर लखनऊ (उत्तर प्रदेश), मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (महाराष्ट्र) और पुणे मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (महाराष्ट्र) शामिल हैं। इस अध्ययन के लिए 1 अप्रैल से 18 जुलाई तक साल 2020 से 2024 तक का डेटा लिया गया है।

CSE की नई रिपोर्ट में देश के जिन बड़े शहरों का जिक्र किया गया है, उनमें आजोन का स्तर सामान्य से अधिक पाया गया है। दिल्ली-NCR में ग्राउंड लेवल ओजोन गैस का स्तर 176 दिनों तक सामान्य से ऊपर रहा, जबकि मुंबई और पुणे में यह स्थिति 138 दिनों तक रही। जयपुर में ओजोन गैस का स्तर 126 दिनों तक असामान्य रहा, हैदराबाद में 86 दिनों तक, कोलकाता में 63 दिनों तक, बेंगलुरु में 59 दिनों तक, लखनऊ में 49 दिनों तक और अहमदाबाद में 41 दिनों तक असामान्य रहा। वहीं, चेन्नई में ऐसे दिनों की संख्या सबसे कम करीब 9 दिन दर्ज की गई है।

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देश में इस साल हालात काफी बिगड़े दिखाई दिए हैं। CSE की नई रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि इस बार साल 2024 में ओजोन प्रदूषण की समस्या साल 2020 में लॉकडाउन के दौर में गर्मियों में पैदा हुई समस्या से कई ज्यादा बढ़ी है। यह सब प्रदूषण बढ़ने के कारण हो रहा है। बढ़ते प्रदूषण की समस्या अब जानलेवा होती जा रही है और ये केवल बड़े शहरों में ही नहीं छोटे शहरों में भी पहुंच रही है।

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