Paris Olympics 2024: भारतीय एथलीट ज्योति याराजी 26 जुलाई से शुरू होने वाले पेरिस ओलंपिक में 100 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लेने वाली देश की पहली खिलाड़ी बन जायेंगी। यहां उनकी कोशिश अपनी मां कुमारी के अभी तक के सारे संघर्षों को खत्म करने की होगी।वर्ल्ड रैंकिंग कोटे से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली याराजी अपनी मां की पॉजिटिव सोच से प्रेरित होकर पेरिस में शानदार प्रदर्शन करना चाहेंगी। उनकी मां विशाखापत्तनम के एक अस्पताल में सफाईकर्मी और घरेलू सहायिका के तौर पर ‘डबल शिफ्ट’ में काम करती थीं।
‘रिलायंस फाउंडेशन’ की तरफ से आयोजित वर्चुअल बातचीत में याराजी ने कहा, “पहले मैं अपनी व्यक्तिगत जिंदगी, अपने परिवार और बैकग्राउंड को लेकर बहुत टेंशन में रहती थी, लेकिन मैंने काफी कुछ सीखा है।उन्होंने कहा, “कई बार मेरी हालत बहुत खराब रही। मेरी मां हमेशा मुझे कहती हैं कि आगे बढ़ती रहो क्येांकि हम वर्तमान, अतीत और भविष्य को नहीं रोक सकते।”
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याराजी ने कहा, “मेरी मां ने मुझे कहा, तुम अपने लिए काम करो, रिजल्ट चाहे जो भी रहे, हम इसे स्वीकार करेंगे। मेरी मां प्रतियोगिता से पहले मुझे कभी नहीं कहतीं कि मेडल जीतो या फिर गोल्ड मेडल जीतो। वो मुझसे कहतीं कि जाओ स्वस्थ रहो और जो भी मैं करूं उसमें संतुष्ट रहूं। इसलिये मैं हमेशा पॉजिटिव सोच से आगे बढ़ती हूं।उन्होंने कहा कि पॉजिटिव सोच के लोगों के साथ रहने से भी उन्हें मदद मिली, क्योंकि उन्होंने अतीत और भविष्य के बारे में ज्यादा सोचने की जगह मेरे वर्तमान को सुधारने में मदद की।
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याराजी ने अपने कोच जेम्स हिलियर (रिलायंस फाउंडेशन के एथलेटिक्स डायरेक्टर) का जिक्र करते हुए कहा, “पहले मेरे पास अच्छी टीम नहीं थी। अब मेरे साथ बहुत सारे पॉजिटिव लोग हैं। इससे मुझे काफी मदद मिल रही है। मैं हमेशा पॉजिटिव रहती हूं। मैं पॉजिटिव सोच से निगेटिविटी को दूर करती हूं।याराजी का नेशनल रिकॉर्ड 12.78 सेकेंड का है। वो मानती हैं कि ओलंपिक में उन पर काफी प्रेशर होगा, लेकिन वो ध्यान लगाकर शांत रहने की कोशिश कर रही हैं।उन्होंने कहा, “मुझे ओलंपिक में खेलने का अनुभव नहीं है, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि ये अच्छा रहेगा। मुझे एशियाई चैंम्पियनशिप, एशियाई खेल और वर्ल्ड चैंम्पियनशिप का अनुभव है। मुझे उम्मीद है कि इनसे मिले अनुभव का ओलंपिक में फायदा उठाऊंगी।”