Politics: लोकपाल के 7 BMW कार टेंडर पर गरमाई सियासत, जानिए क्या है पूरा मामला

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Politics: भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल ने लगभग पांच करोड़ रुपये में सात लक्जरी बीएमडब्ल्यू कारों की खरीद के लिए एक निविदा जारी की है। इसकी विपक्ष और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं ने निंदा की है जिन्होंने संस्थान की प्राथमिकताओं और कामकाज के रिकॉर्ड पर सवाल उठाए। निविदा और कार विनिर्माता की वेबसाइट के अनुसार दिल्ली में लगभग 69.5 लाख रुपये प्रति कार की ऑन-रोड कीमत वाली इस लंबी व्हीलबेस सेडान कार को इस सेगमेंट की सबसे लंबी कार के रूप में वर्णित किया गया है, जिसे बेहद शानदार केबिन में उत्कृष्ट आराम के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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निविदा में लिखा है, ‘‘भारत के लोकपाल सात बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज 330एलआई कारों की आपूर्ति के लिए प्रतिष्ठित एजेंसियों से खुली निविदाएं आमंत्रित करते हैं।’इसमें ‘लंबे व्हीलबेस’ और सफेद रंग के ‘एम स्पोर्ट’ मॉडल की खरीद का उल्लेख है।इस खरीद का उद्देश्य संस्था के प्रत्येक वर्तमान सदस्य, जिसमें अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर (सेवानिवृत्त) और छह अन्य सदस्य शामिल हैं, के लिए एक वाहन उपलब्ध कराना है। लोकपाल के स्वीकृत पदों की संख्या आठ है। लोकपाल की निविदा में यह कहा गया है कि चयनित विक्रेता को भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल के चालकों और निर्दिष्ट कर्मचारियों के लिए सात दिन का एक व्यापक व्यावहारिक और सैद्धांतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना होगा, जिसका खर्च विक्रेता द्वारा ही वहन किया जाएगा। Politics:

इसमें कहा गया है कि यह प्रशिक्षण वाहनों की आपूर्ति के 15 दिन के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। इसमें ‘सभी नियंत्रणों, विशेषताओं और सुरक्षा प्रणालियों से परिचित कराना’, ‘आपातकालीन संचालन’ और प्रत्येक चालक के लिए कम से कम 50 से 100 किलोमीटर का सड़क पर अभ्यास शामिल होना आवश्यक है।बोली जमा करने की अंतिम तिथि 6 नवंबर है, जिसमें बोलीदाताओं को 10 लाख रुपये की बयाना राशि जमा करानी होगी।कांग्रेस नेताओं और कुछ जाने-माने कार्यकर्ताओं ने इस कदम की निंदा की है और इसे फिजूलखर्ची का प्रदर्शन बताया है जो संस्था के मूल उद्देश्य को कमजोर करता है।

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आलोचक न केवल खर्च पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि लग्जरी कार की निविदा का इस्तेमाल भ्रष्टाचार विरोधी संस्था की प्रभावशीलता और स्वतंत्रता पर हमला करने के लिए कर रहे हैं।वकील प्रशांत भूषण, जो इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति हैं, ने इस मुद्दे पर तीखा हमला किया और सरकार पर संस्था को कमजोर करने का आरोप लगाया।प्रशांत भूषण ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मोदी सरकार ने लोकपाल की संस्था को कई वर्षों तक खाली रखकर और फिर ऐसे चापलूस सदस्यों की नियुक्ति करके धूल में मिला दिया है, जिन्हें भ्रष्टाचार से कोई फर्क नहीं पड़ता और जो अपनी विलासिता से खुश हैं। अब वे अपने लिए 70 लाख की बीएमडब्ल्यू कारें खरीद रहे हैं।’’

कांग्रेस ने भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के पिछले रिकॉर्ड पर सवाल उठाए और इसे सरकार बनने से पहले हुए आंदोलन से जोड़ा।कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘लोकपाल अपने लिए 5 करोड़ रुपये की 7 लक्जरी बीएमडब्ल्यू कारें खरीदना चाहता है। यह वही संस्था है जिसे तथाकथित ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन के बाद भ्रष्टाचार से लड़ना था – यह एक ऐसा आंदोलन था जिसे आरएसएस का समर्थन प्राप्त था और जिसका मकसद केवल कांग्रेस सरकार को गिराना था।’

कांग्रेस नेता सरल पटेल ने संस्था के कामकाज को चुनौती देते हुए कहा, ‘‘भारत का लोकपाल 5 करोड़ रुपये की 7 लक्जरी बीएमडब्ल्यू कारें खरीद रहा है… क्या इस लोकपाल ने पिछले 11 सालों में एक भी मामले पर कार्रवाई की है?’एनसीपी (एसपी) ने इसे करदाताओं के पैसों की लूट बताया। पार्टी प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने ‘एक्स’ पर लिखा कि लोकपाल के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और उन्हें प्रस्तावित खरीद को लेकर संस्थान से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए।
लोकपाल का कार्यालय दिल्ली के वसंत कुंज संस्थागत क्षेत्र में है। Politics:

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