Pongal 2025: पूरे तमिलनाडु में पोंगल का त्योहार पारंपरिक तरीके से मनाया जा रहा है। इस मौके पर लोग सुबह जल्दी उठकर अपने घरों को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाते हैं और प्रसाद के लिए ताजी सब्जियां तैयार करते हैं।
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बता दें, तूतुकुडी के कुरुस्पुरम में बने सेंट सुसैयप्पार चर्च में ईसाई लोगों ने चर्च को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाया और ताड़ के पत्तों से सजे पारंपरिक बर्तनों में पोंगल तैयार किया। इसके बाद पैरिश पादरी की अगुवाई में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई। पोंगल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के आरंभ का प्रतीक है। इसे किसानों के लिए काफी अहम समय माना जता है, क्योंकि इस सीजन में किसान अपनी फसलों की कटाई करते हैं।
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दरअसल, पोंगल का त्योहार चार दिन तक चलता है। ये मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है। ये नए साल की शुरुआत और नई फसल के आगमन का प्रतीक है। इस अवसर पर गुड़ और चावल से बनी खास खीर सूर्य देव को अर्पित की जाती है, जिसे पोंगल कहा जाता है।
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