दिवाली के लिए मिट्टी के दीये और दूसरे सजावटी सामान बनाने में माहिर कुम्हारों का कहना है कि उन्हें अपना बिजनेस चलाने के लिए जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वे इसे बेहद कठिन बना देती हैं।
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लखनऊ में कुम्हारों का एक परिवार, जो पीढ़ियों से दीये और रंगीन मूर्तियों को बनाता आ रहा है, उसका कहना है कि बिजनेस में लंबे समय से लगे होने के बावजूद गुजारा करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। वे खराब आर्थिक हालत की वजह से अच्छी क्वालिटी वाली मिट्टी खरीदने में परेशानी से गुजरते हैं क्योंकि मिट्टी की बढ़ती लागत से उन पर काफी बोझ पड़ता है।
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ये कुम्हार दीवाली से पहले बाजार तलाशते मिट्टी के दीयों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। उनका कहना है कि पारिवारिक पेशा होने की वजह से वो दीये बनाने का बिजनेस चला रहे हैं। वे अपने प्रोडक्ट की मांग में कमी की भी रिपोर्ट करते हैं क्योंकि मार्केट में और भी अधिक आकर्षक वस्तुएं आ गई हैं। दिवाली बस कुछ ही दिन दूर है, इस परिवार जैसे कुम्हार अपने बनाए दीये और पारंपरिक उत्पादों की बेहतर मांग की उम्मीद कर रहे हैं, जो उन्हें लगता है कि पिछले कुछ सालों में बेहद कम हो गई है।
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