पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में दोपहर एक बजे किया जाएगा। पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि उनका शव बुधवार सुबह 10 बजे एक काफिले के रुप में गांव बादल के वाया पटियाला, संगरुर, बरनाल व बठिंडा से होते हुए मुक्तसर जिले के उनके पैतृक गांव बादल में पहुंचेगा। जहां वीरवार दोपहर एक बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
प्रकाश सिंह बादल का एक सबसे बड़ा गुण यह था कि वह विकास कार्यों की ओर ज्यादा ध्यान देते थे और अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने की सोच के खिलाफ थे। बादल को ग्रामीण क्षेत्र की सबसे ज्यादा चिंता थी, इसीलिए वह चाहते थे कि जो सुविधाएं शहरों में मिल सकती हैं, वह सभी गांव में क्यों नहीं। गांव के युवा क्यों शहरों में काम-धंधे के लिए भटकते रहें, अपनी इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने 1977 में मुख्यमंत्री बनते ही गांव में फोकल प्वाइंट की शुरुआत की और जब-जब भी वह मुख्यमंत्री बने उन्होंने गांवों में इस तरह के फोकल प्वाइंट बनाए, जहां पर कृषि से जुड़े हुए सभी कारोबार किए जा सकते हों। इसके अलावा बादल ने किसानों के लिए मुफ्त बिजली योजना, बुजुर्गों को पेंशन, निशुल्क बस यात्रा, तीर्थ यात्रा योजना की शुरुआत की। उन्होंने गरीबों के लिए चार रुपये किलो आटा और 20 रुपये किलो दाल योजना भी शुरू की।
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हिंदू और सिखों के बीच में सौहार्द को मानते थे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धिवर्ष 2008 में जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि वह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं। इस पर उन्होंने कहा था कि पंजाब में हिंदू और सिखों के बीच खराब हुए सौहार्द को बनाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है। उन्हें सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए याद किया जाता रहेगा। प्रकाश सिंह बादल के व्यक्तित्व के बारे में कोई कुछ भी कहें यह बात लगभग सभी वर्गों के नेता कहते रहे कि वह पंजाब में संप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की सबसे बड़ी कड़ी रहे।
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